नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली की अदालतों में गोलीबारी की हालिया घटनाओं पर चिंता व्यक्त की है और ऐसी घटनाएं आगे न हों इसके लिए देशभर के प्रत्येक न्यायिक परिसर में स्थायी कोर्ट सुरक्षा इकाइयों (सीएसयू) की तैनाती सहित एक सुरक्षा योजना की आवश्यकता को बताया।
आदेश में कहा गया है कि अदालत में होने वाली ऐसी घटनाएं न केवल न्यायाधीशों बल्कि वकीलों, अदालत के कर्मचारियों, वादियों और आम जनता की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण जोखिम पैदा करती हैं। इसी के साथ शीर्ष अदालत ने देश के अदालत परिसरों में सुरक्षा मजबूत करने के लिए कई निर्देश जारी किए।
शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को कहा कि एक ऐसे स्थान के रूप में अदालत की पवित्रता को बनाए रखना जहां न्याय किया जाता है और कानून के शासन को बरकरार रखा जाता है, इससे समझौता नहीं किया जा सकता है। न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि न्यायिक संस्थान सभी हितधारकों की भलाई की रक्षा के लिए व्यापक कदम उठाएं।
पीठ ने कहा कि यह भयावह है कि राष्ट्रीय राजधानी में अदालत परिसर में, पिछले एक साल में, गोलीबारी की कम से कम तीन बड़ी घटनाएं देखी गई हैं। ऐसे में न्यायिक संस्थान सभी हितधारकों की भलाई की रक्षा के लिए व्यापक कदम उठाया जाना चाहिए। जब न्याय प्रदान करने के लिए सौंपे गए लोग स्वयं असुरक्षित हैं तो वादकारी अपने लिए न्याय कैसे सुरक्षित कर सकते हैं?
बता दें कि कुख्यात गैंगस्टर जितेंद्र गोगी की सितंबर 2021 में रोहिणी कोर्ट परिसर में दो हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। उसके हत्यारों को दिल्ली पुलिस ने परिसर में ही मार गिराया था। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह इस तथ्य से अवगत है कि सीसीटीवी कैमरों सहित आधुनिक सुरक्षा उपाय होने के बावजूद अदालत की सुरक्षा में खामियां अक्सर होती रही हैं।
शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालयों को प्रमुख सचिवों, प्रत्येक राज्य सरकार के गृह विभागों और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस महानिदेशकों या पुलिस आयुक्तों के परामर्श से एक सुरक्षा योजना तैयार करनी चाहिए। जिससे अदालती सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
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