पदोन्नति संशोधन सूची निरस्ती का आदेश किसी भी मायने मे उचित नही-ओमप्रकाश बघेल


कोरबा,09 अगस्त। पंचायत संवर्ग मे लम्बी सेवा पाश्चात् शिक्षा विभाग मे संविलियत एल बी संवर्ग शिक्षकों की पदोन्नति मामले मे मा.उच्च न्यायालय मे लम्बी लड़ाई फलस्वरूप डी पी आई के निर्देशन मे प्रदेश के सभी संभागों मे सहायक शिक्षक से शिक्षक एवं शिक्षक से प्रधान पाठक मा शाला के पदों पर कॉउन्सिलिंग के माध्यम से पदोन्नति संयुक्त संचालकों द्वारा की गई, डी पी आई द्वारा जारी निर्देश के कंडीका मे उल्लेखित, एकल एवं शिक्षक विहीन संस्थाओं मे पदोन्नति किए जाने के फेर मे अन्य रिक्तियों को पदोन्नति हेतु जारी नही किया जाना पदोन्नति योग्य वरिष्ठ शिक्षकों के हित पर छुरा चलाने जैसा था, यदि उक्त संशोधित रिक्त पदों को जारी किए जाते तो स्वाभाविक ही वरिष्ठता क्रम के दुगुने शिक्षकों को पदोन्नति का लाभ प्राप्त होता,साथ ही पदोन्नत शिक्षकों को स्थान चयन मे सुगमता होती जिससे की संशोधन का बड़ा खेला जैसे मामले होने की संभावना ही नही होती।पदोन्नति प्राप्त शिक्षकों को संशोधन हेतु यह भी अधिकार डी पी आई द्वारा जारी निर्देश दिनांक 22/7/2022 को प्रदान की गई थी,

यह कि यदि पदोन्नत शिक्षकों को पदोन्नति कार्यवाही एवं स्थान चयन कि प्रक्रिया मे विभाग द्वारा नियम या शर्तों का पालन नही किया गया है जिससे पदोन्नति योग्य शिक्षकों को प्रक्रिया से असंतुष्टि है तो प्रभावित शिक्षक पदोन्नति पाश्चात् 10दिवस के अंदर सम्बंधित अधिकारी को अपना अभ्यावेदन प्रस्तुत कर सकता है, और इसी कंडीका के आधार पर पदोन्नति स्थान मे संशोधन कि कार्यवाही की गई जिससे की शिक्षकों की विषम समस्याओं का कुछ हद तक समाधान हो सका।संशोधन के आड़ मे कुछ अधिकारियों एवं नेताओं द्वारा बड़ा खेला किया गया ओ आज विभागीय कार्यवाही का शिकार हुए हैं जो उचित भी है किन्तु संशोधन हेतु अभ्यावेदन प्रस्तुत किए जाने वाले शिक्षकों का रत्ती भर भी दोष प्रतीत नही होता । इस मामले मे सरकार द्वारा पदस्थापना संशोधन मे शिक्षकों के संशोधन निरस्ती की कार्यवाही यदि की जाती है तो यह कार्यवाही शिक्षकों के प्रति अन्याय होगा, सरकार द्वारा ऐसी कार्यवाही शिक्षकों के प्रति “गुड़ खाये गंगू, मार खाय टुकना “जैसे कहावत चरितार्थ होगी .


छ ग प्रदेश संयुक्त शिक्षक संघ के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश बघेल द्वारा बताया गया कि प्रदेश के लगभग 5000 शिक्षकों का संशोधन निरस्ती की कार्यवाही सरकार द्वारा यदि की जाती है तो यह शिक्षकों के प्रति ज़्यादती एवं अन्याय पूर्ण होगा, उक्त कार्यवाही से केवल 5000शिक्षकों पर ही नही बल्कि उनके पूरा परिवार पर मनोवैज्ञानिक दुष्प्रभाव का असर होगा, इसलिए सरकार को संशोधन निरस्ती पर गंभीरता से विचार करना चाहिए । बघेल द्वारा यह भी बताया गया की पुरे प्रदेश मे पदोन्नति मामले मे कुछ हद तक वित्तीय लेनदेन हुआ है जिसे इंकार नही किया जा सकता, किन्तु यक्ष प्रश्न यह है की क्या वर्तमान पदोन्नति संशोधन मे ही वित्तीय लेनदेन हुआ या फिर क्या यह नही की? चाहे वह नवीन भर्ती हो, पदस्थापना हो, स्थानंतरण हो,पदोन्नति हो, समान खरीदी हो,एजुकेशन सिस्टम मे यह प्रक्रिया परम्परा से चली आ रही है, इस पर रोक लगाने की नैतिक जवाबदारी किसका है, चिंतन का विषय है।


कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष बघेल द्वारा सरकार से मांग की गई है की पदोन्नति मामले मे संशोधन पर की जा रही निरस्ती की कार्यवाही पर सरकार गंभीरता से विचार कर निर्णय ले , जिससे की प्रदेश के निर्दोष शिक्षकों के लिए राहत योग्य हो।