सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को सतर्क रुख अपनाने की जरूरत,भारत में मंडरा रहा है महंगाई का खतरा!

वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को अपनी मासिक आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि खाद्य मुद्रास्फीति (food inflation) में हालिया उछाल से सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को सतर्क रुख अपनाने की जरूरत है। वित्त मंत्रालय ने 3 अगस्त को जारी अपनी मासिक आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट में कहा, ‘मौसम संबंधी व्यवधानों के कारण ‘फलों’, ‘सब्जियों’ और ‘दालों और अन्य उत्पादों’ की कीमतों में वृद्धि से सीपीआई-खाद्य मुद्रास्फीति (CPI food inflation) मई में 3 फीसदी से बढ़कर जून में 4.5 फीसदी हो गई। इसलिए आरबीआई और सरकार को महंगाई के मोर्चे पर अभी भी सतर्क रहने की जरूरत है।’

12 जुलाई को जारी आंकड़ों से पता चलता है कि भारत की प्रमुख खुदरा मुद्रास्फीति (Retail Inflation) दर ने जून में चार महीने की गिरावट का सिलसिला तोड़ दिया और मई में 4.31 प्रतिशत से बढ़कर 4.81 प्रतिशत हो गई। इसका कारण है खाद्य मुद्रास्फीति में 2.96 प्रतिशत से 4.49 प्रतिशत की तेज वृद्धि ।खासकर टमाटर की कीमत बीते महीने से आसमान छूती नजर आ रही है, जिसको लेकर सरकार संभावित अन्य उपायों के जरिए इसकी बढ़ती कीमतों पर रोक लगाने का प्रयास कर रही है।अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि सीपीआई मुद्रास्फीति जुलाई में और भी तेजी से बढ़ेगी – जिसके आंकड़े 14 अगस्त को जारी किए जाएंगे।खासकर टमाटर की कीमत बीते महीने से आसमान छूती नजर आ रही है, जिसको लेकर सरकार संभावित अन्य उपायों के जरिए इसकी बढ़ती कीमतों पर रोक लगाने का प्रयास कर रही है।अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि सीपीआई मुद्रास्फीति जुलाई में और भी तेजी से बढ़ेगी – जिसके आंकड़े 14 अगस्त को जारी किए जाएंगे।

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वित्त मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अच्छी मानसूनी बारिश, मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में सतत विस्तार और सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रों का बड़े पैमाने पर पूंजीगत व्यय (Capital expenditure) करना चालू वित्त वर्ष में व्यापक आर्थिक स्थिरता (macroeconomic stability) और ग्रोथ के लिए अच्छा संकेत है। हालांकि, भारत को प्रतिकूल विकास को लेकर सतर्क रहने को कहा है, जिससे की देश के विकास के रास्ते में कोई बाधा न आए।वित्त मंत्रालय ने मासिक आर्थिक सर्वेक्षण के जून संस्करण में कहा है कि हाल के वर्षों में पूंजीगत व्यय पर सरकार के जोर के साथ प्रमुख बुनियादी ढांचे में निवेश पर काफी बल दिया गया है। इससे प्राइवेट सेक्टर में भी रोजगार सृजन, आय, उत्पादकता, मांग और निर्यात के अनुकूल चक्र का हिस्सा बना है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि मुद्रास्फीति दबाव (inflation pressure) कम होने से निजी खपत में भी सुधार हो सकता है। हाल के महीनों में खुदरा मुद्रास्फीति (retail inflation) में नरमी देखने को मिली।  थोक मुद्रास्फीति (wholesale inflation) में नरमी का असर खुदरा महंगाई पर भी देखने को मिल रहा है।

रिपोर्ट के मुताबिक, विपरीत ग्लोबल घटनाक्रम के बावजूद सेवा निर्यात (service export) में मजबूत प्रदर्शन के कारण भारत का निर्यात में प्रदर्शन भी अच्छा रहने की संभावना है।  इसमें कहा गया है कि देश में डिजिटलीकरण अभियान के कारण, घर से काम करने की बढ़ती प्राथमिकता और वैश्विक क्षमता केंद्रों के बढ़ते प्रसार से भारत के सेवा निर्यात में और वृद्धि होने की उम्मीद है।

रिपोर्ट कहती है, “भारत में मानसून के बेहतर रहने, ठोस राजकोषीय प्रदर्शन, विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में निरंतर विस्तार, सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों द्वारा जोरदार पूंजीगत व्यय वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की व्यापक आर्थिक स्थिरता और वृद्धि के लिए काफी अच्छा संकेत है। लेकिन ऐसी स्थिरता और वृद्धि के लिए लगातार नीतिगत सतर्कता रखनी होती है।”