ट्रेनों का वक्त खराब, दो माह पहले सौ में 45 यात्री ट्रेनें समय पर चल रही थीं, अब 38 रह गईं

बिलासपुर I पैसेंजर ट्रेनों को समय पर चलाने के लिए रेलवे बोर्ड लाख दावे कर ले लेकिन रेल अफसरों की प्राथमिकता में मालगाड़ियां हैं। एसईसीआर की ताजा पंक्चुअलिटी (समयबद्धता) रिपोर्ट के मुताबिक दो महीने पहले यानी मई में 45.61 प्रतिशत ट्रेनें ही समय पर चल रही थीं, जो अब 38.24 प्रतिशत रह गई हैं। सुधार के बजाय लेटलतीफी की स्थिति आठ फीसदी और बढ़ गई है। यात्रियों की सुविधाओं में सुधार के बजाय लगातार कमी सामने आ रही है। 15 मई से 21 मई तक देश के 12 जोन में ट्रेनों के परिचालन की जो परफार्मेंस रिपोर्ट थी, वह 78.28 फीसदी थी।

17 से 23 जुलाई तक 10 जोन के ट्रेनों के परिचालन की जो परफार्मेंस रिपोर्ट आई है, वह 73.26 है। यह काफी चिंताजनक स्थिति है। पिछले सप्ताह की रिपोर्ट तो यात्री सुविधाओं की दृष्टि से काफी निराशाजनक है। एसईसीआर में तीन मालगाड़ियां के पीछे एक यात्री ट्रेन चलाई जा रही हैं। इसके पीछे फिर तीन मालगाड़ियां हैं। इस वजह से यात्री ट्रेनें देरी से चल रही हैं। एक मालगाड़ी 4 हजार टन कोयला या अन्य तरह के सामान लेकर चलती है। बिलासपुर जोन में मालगाड़ियां ज्यादातर कोयला लेकर ही चल रही है।

देशभर के पॉवर प्लांट की डिमांड पूरी करने के लिए दो मालगाड़ियों को एक साथ जोड़कर चलाया जा रहा है। 80 फीसदी कोयला लदी मालगाड़ियां ऐसे ही चल रही हैं। यानी 8 हजार टन लेकर चलने रही मालगाड़ियों की रफ्तार तो धीमी होती ही है उन्हें बेकअप देने के लिए पीछे भी आवश्यकतानुसार एक या दो इंजन लगाने पड़ते हैं। इसे बैंकर कहा जाता है।

सामने भी दो इंजन और पीछे भी दो इंजन उसके बाद भी बिलासपुर जोन के कुछ हिस्से ऐसे हैं जहां पर ये चार इंजन भी मालगाड़ियों को चला पाने में सक्षम न हीं होते हैं तब एक और इंजन लगाया जाता है। इससे चढ़ाई वाले हिस्से में मालगाड़ियों की रफ्तार 40 से 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ही ट्रेन चल पाती है। और इसके पीछे चलने वाली यात्री ट्रेनों को यहां वहां खड़ा कर दिया जाता है या फिर ये भी धीमी गति से चलती रहती हैं।

जामगा, सालेकसा-दरेकसा, कटनी रूट पर संकट
बिलासपुर जोन के तीन हिस्सों में खड़ी चढ़ाई है। इसमें मालगाड़ियों को चलाना काफी मुश्किल भरा होता है। ब्रजराज नगर साइडिंग से कोयला भरकर जो भी मालगाड़ी बिलासपुर की ओर आती है, उसे खड़ी चढ़ाई चढ़नी पड़ती है। यहां पर दो-दो बैंकर से मालगाड़ियों को धकेलना पड़ता है। यही स्थिति डोंगरगढ़ से आगे सालेकसा-दरेकसा की पहाड़ियों पर यहां भी है। इसके बाद बिलासपुर कटनी रूट में करगीरोड से लेकर पेंड्रारोड तक पहाड़ों के बीच घाट से मालगाड़ी गुजरती है इस रूट पर भी डबल बैंकर के बिना मालगाड़ी चला पाना संभव नहीं। यहां पर मालगाड़ियों की चाल धीमी होती है इसलिए यात्री ट्रेनें घंटों विलंब से चलती हैं।

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