Health Tips: अस्थमा के रोगी बर्गर और चिप्स खाने में रहें सावधान

अस्थमा या दमा को नियंत्रित रखने का एक तरीका खानपान का उपयुक्त पैटर्न भी है। कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे होते हैं, जिनसे रोग संबंधी तकलीफ बढ़ सकती है। कई बार तो ऐसा भी होता है कि कोई विशिष्ट चीज खाने के कुछेक घंटे बाद ही उसका असर दिखना शुरू हो जाता है। मतलब यह कि खाद्य पदार्थों से फेफड़े का काम प्रभावित होता और फिर उसकी परिणति अस्थमा का दौरा पड़ने के रूप में सामने आता है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि यदि आप अस्थमा से पीड़ित हैं तो क्या ज्यादा खाएं, क्या कम मात्रा में खाएं और उसके कारण श्वसन क्रिया कैसे प्रभावित होती है।

आधुनिक जीवनशैली के खानपान में बर्गर और चिप्स अधिकता बढ़ गई है। अध्ययनों में पाया गया है कि इन पदार्थों के अधिक सेवन से अस्थमा की परेशानियां बढ़ सकती हैं। यह भी सामने आया है कि अधिक फल, सब्जियां तथा मछली वाली डाइट से बच्चों में घरघराहट की समस्या कम होती है, भले ही वे अस्थमा से पीड़ित हों या नहीं। वयस्कों के लिए भी फल-सब्जियों की अधिकता वाली डाइट अस्थमा रोगियों के लिए फायदेमंद होती है। जो लोग फल-सब्जियों की अधिकता वाली डाइट लेते हैं, उनके फफड़े बेहतर काम करते हैं और उन्हें कम फल-सब्जियां खाने वाले लोगों की तुलना में अस्थमा का दौरा भी कम पड़ता है।

इसके पीछे शोधकर्ताओं का मानना है कि ज्यादा एंटीआक्सीडेंट तथा घुलनशील फाइबर सूजन कम करने में मददगार होते हैं। एंटीआक्सीडेंट वाली वस्तुएं मुक्त अणुओं का निस्तारण करते हैं। ये अणु सूजन बढ़ाने के कारक होते हैं। घुलनशील फाइबर को आंत के बैक्टीरिया द्वारा फर्मेंट होता, जिससे एसीटेट, प्रोपियोनेट और ब्यूटायरेट जैसे शार्ट-चेन फैटी एसिड का उत्पादन होता है और ये सूजन को कम करते हैं।

सैचुरेटेड फैट बिस्कुट, सासेज, पेस्ट्रीज, चाकलेट तथा अन्य फास्ट फूड जैसी चीजों में ज्यादा पाए जाते हैं। कई अध्ययनों में पाया गया है कि सैचुरेटेड फैट, ज्यादा शक्कर तथा रेड मीट की अधिकता वाली डाइट अस्थमा की स्थिति बिगाड़ती है। इसके असर खाने के कुछेक घंटे बाद ही सामने आने लगता है। इसके साथ ही यदि आपको अस्थमा है तो कभी-कभी बर्गर या कुछ गर्म चिप्स खाना तो ठीक है। लेकिन इनके ज्यादा उपभोग से अस्थमा का दौरा तेज हो सकता है। कई लोगों का मानना है कि डेयरी उत्पाद खाने से अस्थमा बढ़ जाता है, लेकिन यह सही नहीं है। वास्तविकता तो यह है कि दूध पीने से फेफड़े की सेहत सुधरती है। इस तरह के और भ्रमों को भी दूर करने का समय है।

यह है अस्थमा के कारण

अस्थमा श्वसन तंत्र में सूजन वाला एक रोग है। जब कोई व्यक्ति किसी विशिष्ट चीज, यथा- वायरस, धूल या कोई संवेदनशील प्रतिक्रिया करने कारकों के संपर्क में आता है तो सांस लेने के क्रम में उसके प्रभाव से फेफड़े में सूजन पैदा हो जाता है और वायु नलिका संकीर्ण हो जाती है। इससे सांस लेने में परेशानी होती है, जिसे अस्थमा अटैक के रूप में भी जाना जाता है। अब शोधों से पता लगने लगा है कि किस प्रकार की डाइट अस्थमा के लक्षण को प्रभावित करते हैं और अस्थमा का दौरा पड़ने की स्थिति पैदा करते हैं। अब यह लाइफ स्टाइल से जुड़ी बीमारी बनता जा रहा है।