मुरैना। वैसे तो हिंदुस्तान में भोलेनाथ के कई चमत्कार देखने को मिलते हैं, लेकिन मुरैना जिले से 70 किलोमीटर दूर पहाड़गढ़ के वीरान जंगलों में ईश्वरा महादेव के नाम पर प्राचीन शिव मंदिर स्थित है। इस मंदिर पर पूजा-अर्चना करने के लिए आसपास के इलाके के लोग तो आते ही हैं, साथ ही अन्य प्रदेशों के लोग भी यहां आकर शिव पूजा करते हैं। इस मंदिर पर सबसे ज्यादा पूजा-अर्चना श्रवण मास में की जाती है और राजा महाराजाओं के समय पर भी यहां इसी तरह से पूजा-अर्चना होती थी। आज भी कई जनप्रतिनिधि भी शिव मंदिर पर आकर पूजा अर्चना करते हैं।
हर सुबह अपने आप चढ़े मिलते हैं बेलपत्र
भगवान भोले नाथ के कई चमत्कार देखें होंगे, लेकिन मुरैना में ईश्वरा महादेव का चमत्कार देख और सुन कर दंग रह जाएंगे। यहां इस मंदिर पर सुबह के पहले प्रहर में अपने आप चावल और बेलपत्र चढ़े मिलते हैं। कोई भी ना ही इस रहस्य को जान पाया है और ना ही इसको आज तक देख पाया है। कई लोगों का मानना है कि रावण के भाई विभीषण शिव भक्त थे और वही इस मंदिर में भगवान भोलेनाथ की पूजा करने आते हैं। इस रहस्य का खुलासा करने कई मीडिया संस्थान यहां आए और अपने पूरी रात कैमरा लगाए और पूरी रात बैठे रहे, लेकिन यहां सुबह के पहले पहर में कई प्रकार की आवाजें आने लगीं और सांप बिच्छू निकलने लगे जिसके कारण वह लोग डर गए।
शिवलिंग पर 24 घंटे प्राकृतिक जलाभिषेक
इस मंदिर में रात को रुकना मना है। यहां लगातार 12 महीने भगवान भोलेनाथ की प्रतिमा पर 24 घंटे जल से अभिषेक होता रहता है, क्योंकि यह प्रतिमा पहाड़ के नीचे है। यहां 12 महीने पानी प्रतिमा पर गिरता रहता है। यहां केवल जंगल में इसी जगह पर पानी मिलता है और आस-पास कहीं भी आपको पानी नहीं मिलेगा। कई श्रद्धालु बताते हैं कि पहले तो यहां आने-जाने का रास्ता भी नहीं था, लेकिन अब सड़कें भी बन गई हैं जिससे मंदिर पर आने जाने के लिए भी आसानी होती है।
पहरा लगवाने के बाद भी पता नहीं चला
श्रद्धालुओं ने यह भी बताया कि श्रवण मास के महीने में यहां पर पूजा-अर्चना कौन करता है इसका आज तक किसी को पता नहीं चल पाया है। रियासत काल की बात की जाए तो पहाड़ गढ़ के राजा पंचम सिंह ने यहां पहरा लगवाया था उसके बावजूद भी उन्हें यह नहीं पता चला के पूजा कब और कौन करके चला गया। कई लोग तो यह बताते हैं कि कोई सिद्ध पुरुष आते हैं और पूजा करते हैं। सुबह 4:00 बजे बेलपत्र चावल रोली पुष्प चढ़े हुए मिलते हैं। इस मंदिर की खास बात यह है कि जब यहां पर आसपास के इलाकों में जल संकट गहरा जाता है तब भी भगवान भोलेनाथ की पिंडी पर हमेशा जल प्रवाह होता रहता है।
इस मंदिर पर पहुंचने के लिए आप या तो भाड़े से गाड़ी करके ले जा सकते हैं। यदि नहीं तो आपको मुरैना बस स्टैंड से पहाड़गढ़ के लिए बस से जाना होगा, जिसके बाद पहाड़गढ़ से आपको ई रिक्शा या अन्य वाहन इस मंदिर तक पहुंचा देंगे। सावन के दिनों में यहां पर एक मेले का आयोजन होता है। इस मेले में कई लोग दूर-दूर से पहुंचते हैं। इसके अलावा इस चमत्कार को भी जानने के लिए यहां लोग मुरैना के अलावा अन्य प्रदेशों और विदेशों से भी पहुंचते हैं।
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