हरेली त्यौहार में किसानों ने की कृषि यंत्रों की पूजा-अर्चना

रायपुर ,17 जुलाई। छत्तीसगढ़ में हरेली त्योहार से ही वर्षभर मनाने वाले त्योहार की शुरुआत होती है। किसानों के साथ ही अन्नपूर्णा को लेकर इस त्योहार का अपना खास महत्व है। किसान खेती-किसानी के साथ ही धन धान्य से खेत व खलिहान की संपन्नता को लेकर पूजा-अर्चना करते है। घर की महिलाएं व्रत रखती है।



सुबह के वक्त घरों में छत्तीसगढ़ी पकवान बनाया जाता है। इन्हीं पकवानों का किसान प्रसाद चढ़ाएंगे। हरेली त्योहार में एक परंपरा और भी है। नीम के पेड़ों की डाली लगाने की परंपरा है। घर के दरवाजे पर नीम के पेड़ों की डंगाल लगाते हैं। घर के दरवाजों पर लोहे का कील ठोंकते हैं। इन सब का पारंपरिक और वैज्ञानिक महत्व है।



बच्चे से लेकर युवा चढ़ें गेड़ी
हरेली त्योहार के अवसर पर बच्चे से लेकर युवा गेड़ी चढ़ें। गेड़ी चढ़ने और इसमें चढ़कर प्रतियोगिता में शामिल होने का अपना अलग अंदाज होता है। ग्रामीण अंचल में ऐसा कोई घर नहीं जहां गेड़ी न बने और बच्चे व युवा गेड़ी न चढ़ें।



नारियल फेंक प्रतियोगिता
नारियल फेंक प्रतियोगिता की मचेगी धूमसुबह के वक्त नारियल फेंक प्रतियोगिता का भी अपना अलग महत्व है। गांव से लेकर शहर के मोहल्लों में युवा नारियल फेंक प्रतियोगिता का हिस्सा बनते हैं और इसी बहाने त्योहार का आनंद उठाते हैं।

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