Kedarnath Temple Mobile Ban:बड़ा फैसला : मंदिर में मोबाइल फोन ले जाने पर बैन, समिति के अध्यक्ष ने कहा – धार्मिक स्थल की एक गरिमा, मान्यताएं और परंपराएं होती हैं

केदारनाथ मंदिर में अब मोबाइल फाेन से फटोग्राफी करने पर प्रतिबंध लग गया है। बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति की और से इस संबंध में धाम में जगह जगह साइन बोर्ड भी लगाए गए हैं। बीकेटीसी ने पुलिस को भी पत्र लिखकर मंदिर परिसर में निगरानी रखने और वीडियो वायरल करने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई करने को कहा था। बीकेटीसी के अध्यक्ष ने कहा कि धाम में अभी तक क्लॉक रूम की व्यवस्था नहीं है। श्रद्धालु मोबाइल फोन लेकर दर्शन कर सकते हैं। लेकिन मंदिर के अंदर फोटो और वीडियो नहीं खींच सकते हैं। इस पर प्रतिबंध है। यदि कोई श्रद्धालु आदेशों का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

श्रद्धालु रील बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर रहे हैं

बता दें कि केदारनाथ मंदिर में आने वाले कई श्रद्धालु रील बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर रहे हैं। जिससे धार्मिक भावनाओं को भी ठेस पहुंच रही है। हाल ही में केदारनाथ धाम में एक महिला द्वारा गर्भ ग्रह में नोट बरसाने का वीडियो भी सोशल मीडिया पर भी वायरल हुआ था।कुछ अन्य बोर्ड में मंदिर और मंदिर परिसर में मर्यादित वस्त्र ही धारण करने को कहा गया है जबकि एक अन्य बोर्ड में कहा गया है कि मंदिर प्रांगण में तंबू या शिविर स्थापित करना दंडनीय अपराध है. हिंदी और अंग्रेजी में लिखे इन बोर्ड में साफ तौर पर कहा गया है कि ऐसा करते पकड़े जाने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी. हाल में गढ़वाल हिमालय में स्थित केदारनाथ मंदिर में बनाए गए ऐसे कई वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित हुए जिन्हें लेकर तीर्थ पुरोहितों से लेकर आम श्रद्धालुओं और सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने भी आपत्ति प्रकट की थी और धार्मिक स्थानों पर ऐसे कृत्यों को गलत ठहराया था.


नाटकीय अंदाज में घुटनों के बल बैठकर प्रपोज करती एक व्लॉगर दिखाई दी

एक वीडियो में जहां मंदिर परिसर में अपने पुरुष मित्र को नाटकीय अंदाज में घुटनों के बल बैठकर प्रपोज करती एक व्लॉगर दिखाई दी थी, वहीं एक अन्य वीडियो में मंदिर के गर्भगृह में एक महिला नोट उड़ाती दिखाई दी थी. इसके अलावा भी, कई लोगों को केदारनाथ मंदिर में रील बनाते देखा गया था. श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि धार्मिक स्थल की एक गरिमा, मान्यताएं और परंपराएं होती हैं और श्रद्धालुओं को उसके अनुरूप ही आचरण करना चाहिए.