भूस्खलन से जम्मू-श्रीनगर हाईवे बंद, अधर में लटके 75 हजार श्रद्धालु

जम्मू। मौसम साफ होते ही पहलगाम के बाद अगले दिन सोमवार सुबह बालटाल मार्ग से भी श्री अमरनाथ यात्रा को बहाल कर दिया गया। बालटाल से सुबह करीब 15 हजार यात्री और पहलगाम से भी छह हजार से अधिक श्रद्धालुओं को पवित्र गुफा की तरफ रवाना किया गया। इसके साथ दोनों तरफ से हेलीकाप्टर सेवा भी शुरू हो गई, लेकिन रामबन जिला में कई जगह भूस्खलन से जम्मू-श्रीनगर हाईवे बंद रहने के कारण जम्मू से तीसरे दिन भी जत्था रवाना नहीं किया गया।

प्रशासन ने देर शाम साफ कर दिया कि मंगलवार तड़के भी जम्मू से रवाना नहीं होगा। इस समय कठुआ, सांबा, जम्मू, ऊधमपुर और रामबन जिले के चंद्रकोट तक करीब 40 हजार श्रद्धालु यात्रा पर जाने का इंतजार कर रहे हैं। अकेले जम्मू में ही 21 हजार से ज्यादा शिवभक्तों को भगवती नगर यात्री निवास के अलावा अन्य सामुदायिक केंद्रों व धार्मिक स्थालों पर ठहराया गया है।

श्रद्धालु इस बात पर अडिग हैं क‍ि बर्फानी बाबा के दर्शन कर के ही वापस लौटेंगे। इसी तरह यात्रा कर चुके करीब 35 हजार श्रद्धालु कश्मीर से भी वापसी के लिए हाईवे खुलने का प्रतीक्षा कर रहे हैं। वहीं, सोमवार को 24,200 श्रद्धालुओं ने पवित्र गुफा में माथा टेका। इस वर्ष एक दिन में दर्शन करने वालों की सबसे बड़ी संख्या है। इसके साथ ही अब तक एक लाख 17 हजार से ज्यादा शिवभक्त बाबा बर्फानी के दर्शन कर चुके हैं। यात्रा 31 अगस्त को संपन्न होगी।

सुबह धूप निकलने पर प्रशासन व श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने जब बालटाल से यात्रा को रवाना करने का फैसला लिया तो तीन दिन से आधार शिविर में इंतजार कर रहे श्रद्धालुओं के चेहरे खिल उठे। हर-हर महादेव के जयघोष लगाते हुए श्रद्धालु बढ़ते गए। वहीं, शाम तक करीब चार हजार श्रद्धालु दर्शन करके बालटाल वापस भी पहुंच गए थे। 

कहां-कहां ठहराए गए हैं श्रद्धालु 

रामबन जिला में कई जगह भूस्खलन से बंद हुए जम्मू-श्रीनगर हाईवे को खोलने का काम युद्धस्तर पर जारी है। तीन दिन से हाईवे बंद होने से श्रद्धालु जम्मू संभाग में विभिन्न शिविरों में फंसकर रह गए हैं। इस समय प्रदेश के प्रवेशद्वार कठुआ जिला में करीब 4235, सांबा में तीन हजार, जम्मू में सबसे अधिक करीब 21 हजार, ऊधमपुर में ढाई हजार से अधिक श्रद्धालु और रामबन जिला के चंद्रकोट में भी पांच हजार के लगभग श्रद्धालु रुके हुए हैं।

इसी तरह अमरनाथ यात्रा करने के बाद बालटाल और पहलगाम के अलावा कश्मीर में अन्य शिविरों में भी करीब 35 हजार श्रद्धालु वापसी करने के लिए हाईवे खुलने के इंतजार में हैं। कुछ श्रद्धालु वापसी के लिए हवाई सेवा का भी रुख कर रहे हैं, लेकिन टिकट महंगी होने से सभी के लिए यह संभव नहीं हो पा रहा है 

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