रायपुर,09 जुलाई । एमजी रोड स्थित जैन दादाबाड़ी प्रांगण में मनोहरमय चातुर्मासिक प्रवचन श्रृंखला में रविवार को नवकार जपेश्वरी साध्वी शुभंकरा ने कहा कि मनुष्य का जन्म जीवन के हर क्षण को सार्थक करने के लिए हुआ है। परन्तु वह ऐसा करता नहीं है। मनुष्य का जन्म बार-बार नहीं होता। इस जन्म को पाने में हमारी आत्मा ने कितना पुरुषार्थ किया, कितना परिश्रम किया है। वर्तमान में शायद कोई कर नहीं सकता। आज यह हमें मिला है तो इसके हर क्षण का उपयोग करना है। लोग मोक्ष में तो जाना चाहते है पर उस मार्ग पर चलना नहीं चाहते है।
आप के अनुसार जाे ऐशोआराम मनुष्य जीवन में मिला है वह फिर नहीं मिलेगा। जो खाने पीने का स्वाद इस जीवन में मिला है वह कहीं नहीं मिलेगा। होटल में खाना खाना, एसी-कूलर की हवा लेना और गद्देदार बिस्तर में सोना और कौन से जीवन में मिलेगा। यह सिर्फ मनुष्य जीवन में मिलेगा। किसी जन्म में बैल-गाय, कुत्ते बन गए तो चाट-गुपचुप का स्वाद कहां मिलेगा।
थोड़ा सा दुख हमारे जीवन में आ जाए तो हम किसे भूलते है। हमें अगर थोड़ा सा भी सिरदर्द होता है, तो हम भगवान को भूल जाते है। पूजा-पाठ करने मंदिर नहीं जाते है। जबकि उस दिन हम नहाने गए, खाना खाए, काम पर चले गए पर मंदिर नहीं गए। संसार जगत का कोई भी काम नहीं छोड़े और छोड़े तो कौन सा काम, पूजा-अर्चना का, धर्म का काम। थोड़ा सा सिर दर्द हुआ तो धर्म का काम छोड़ दिया तो सोचो जो नरक गति में रहते है वो कैसे करते होंगे, क्या उन्हें धर्म याद आएगा।
साध्वीजी कहती है कि व्यक्ति को जब सुख के साधन भी ज्यादा मिल जाए तो वह धर्म-कर्म नहीं करता। अगर करना भी चाहे तो वह नियमानुसार नहीं कर सकते है। एक मनुष्य गति ही ऐसा जीवन में जहां हम तप कर सकते है, साधना कर सकते है, आराधना कर सकते है। चातुर्मास जप-तप और पूजा-आराधना करने का समय है। आलस्य में अगर जीवन बिता दिया तो यह चार महीने भी निकल जाएंगे और पता भी नहीं चलेगा।
पार्श्वनाथ का थाल’ में छोटे बच्चों ने मन मोह लिया
मनोहरमय चातुर्मास समिति के अध्यक्ष सुशील कोचर और महासचिव नवीन भंसाली ने बताया कि जैन दादाबाड़ी प्रांगण में पुण्यार्जन का सुअवसर आया। रविवार, 9 जुलाई को सुबह 8.45 बजे से 10.30 बजे तक पार्श्वनाथ की थाल का आयोजन किया गया। पार्श्वनाथ का थाल में भगवान के पिता *अस्वसेन* माता *वामादेवी* बनने का सौभाग्य रायपुर श्रीसंघ को प्राप्त हुआ। कार्यक्रम में छोटे बच्चों ने रंग-बिरंगे वेशभूषा में संगीतमय प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में नाट्य के माध्यम से बाल पार्श्वनाथ उनकी माता का उनके प्रति प्रेम को दर्शाया गया। बच्चों ने बाल्य काल के पार्श्वनाथ और उनके मित्रों के साथ खेलकर अपनी प्रस्तुति दी। साथ ही बालिकाओं ने अपने मनभावक नृत्यों से सभी का मन मोह लिया। कार्यक्रम के दौरान सभी श्रावक-श्राविकाओं ने अपनी सहभागिता प्रदान कर, बाल कलाकारों का उत्साहवर्धन किया और कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।
[metaslider id="347522"]