परपा कांजी हाउस में बछड़ों की मौत, कई मरने की कगार पर : संतोष बाफना

जगदलपुर ,08 जुलाई  जगदलपुर नगरपालिक निगम द्वारा संचालित ग्राम परपा कांजी हाउस में पिछले दिनों अव्यवस्था से दो बछड़ों की भूख-प्यास से मौत हो गई थी। इस घटना पर शहर के कई गौ सेवा संगठनों ने निगम प्रशासन पर कांजी हाउस की व्यवस्था पर सवाल उठाया हैं। वही इस घटना पर अब क्षेत्र के पूर्व विधायक एवं भाजपा नेता संतोष बाफना ने जिला कलेक्टर को पत्र लिखकर दोषियों पर कठोर कार्यवाही करने की मांग की है।


 
बता दें कि, पिछले दिनों ग्राम परपा कांजी हाउस में दो बछड़ों की मौत होने पर पशु चिकित्सकों व स्थानीय अधिकारियों के समक्ष किये गए मृत मवेशियों के पोस्टमार्टम रिपोर्ट से जानकारी मिली है कि, बरसात के सीजन में कांजी हाउस में जरूरी व्यवस्थाएं न होने से दोनों ही बछड़े निमोनिया ग्रसित होने के साथ ही लम्बे समय से भूखे-प्यासे थे। उनके पेट में पोस्टमार्टम के दौरान चारा-पानी की जगह केवल प्लास्टिक, झिल्ली, कागज व अन्य कचरे के कारण संक्रमण फैलने की वजह को मौत का कारण बताया।

पूर्व विधायक बाफना ने घटना का उल्लेख करते हुए अपने पत्र में कहा है कि, ग्राम परपा कांजी हाउस में गायों की मौत का यह पहला मामला नहीं है। इस कांजी हाउस के रख-रखाव पर पहले भी सवालिया निशान उठते रहे हैं। परंतु कांजी हाउस में जरूरी व्यवस्था के अभाव में गायों की मौत पर अब तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं होने से जिम्मेदारों के द्वारा लापरवाही लगातार बरती जा रही है। एक तरफ राज्य की कॉग्रेस सरकार लगातार गौवंश की दशा सुधारने के लिए विभिन्न योजनाएं चलाने की बात कहती हैं, लेकिन उनकी योजनाओं की जमीनी हकीकत जनता के सामने है। पंचायत स्तर पर गौठान योजना का जहॉ बुरा हाल है तो वहीं शहरों में रोका-छेका योजना जमीनी स्तर पर पूरी तरह से फेल है।

खेतों में फसलों को बचाने गौवंशों को कांजी हाउस में रखा जा रहा हैं, जहां बदइंतजामी और चारा-पानी की कोई व्यवस्था नहीं होने से मवेशी तड़पकर दम तोड़ रहे हैं। वहीं कई और गाये जो कांजी हाउस में बंधी हुई हैं उनकी भी हालत खराब है और मरणासन्न हालत में पड़ी हुई हैं। नगरपालिक निगम के इस कांजी हाउस में बंद गायों की हालत इतनी बदत्तर हो गई है कि, देख-रेख के अभाव में लगातार इनकी मौत हो रही है। कांजी हाउस में बंधी हुई गाये कितने दिनों से भूखी है, चार-पानी, ईलाज वगैरह की व्यवस्था है कि नहीं, इससे राजमद में चूर कांग्रेस के जनप्रतिनिधियों को गायों की दुर्दशा से कोई लेना-देना ही नहीं है।