बदलते दौर में बहुत कुछ भूल रहे हैं हम…

बच्चों में जीवन जीने के सलीके में बहुत बदलाव आ गया है। आज के समय में हर कोई अपना जीवन अपने अंदाज में व्यतीत करना चाहता है। इसमें किसी का हस्तक्षेप करना उसे बिल्कुल पसंद नहीं है। इस जीवनशैली में वह अपनी जिम्मेदारियों से बचने का प्रयास भी कर रहा है। वहीं परिवार और समाज पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। विशेषकर हम अभिभावकों तथा शिक्षकों का मार्गदर्शन बच्चों के जीवन जीने की शैली को बहुत हद तक प्रभावित करता है। हमें उनकी भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाते हुए परिवार, समाज और राष्ट्र के प्रति उनके दायित्वों के प्रति भी जागरूक करना होगा।



ऐसा नहीं करते हैं तो युवा पीढ़ी अपने जीवन और उनके दायित्वों के बारे में जिम्मेदार नहीं हो पाएंगे। आज के विद्यार्थियों के जीवन की शैली में जो परिवर्तन आया है, वह सबसे अधिक संस्कारों का है। आज का विद्यार्थी मेधावी, इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी में बहुत अधिक रुचि रखता है, लेकिन सुसंस्कारित नहीं है। अच्छे संस्कारों की कमी के कारण उठना, बैठना, बोलना, बड़ों का आदर सत्कार, माता-पिता, गुरुजनों के सम्मान में रुचि नहीं रखता। इन सबका कारण माता-पिता के समय अभाव एवं संयुक्त परिवार का कम होना है। प्रत्येक माता-पिता यह उम्मीद करते हैं कि उनका बच्चा बेहतर शिक्षा ग्रहण करे, अच्छे संस्कार स्कूल में शिक्षक भी सिखाएं। विषय ज्ञान के लिए विद्यार्थी उत्तरदायित्व हैं, लेकिन संस्कारों, वास्तविक प्रयोगशाला तो घर एवं परिवार हैं, जहां बच्चों के व्यवहार एवं संस्कारों का वास्तविक प्रयोग होता है। आज का शिक्षक एवं छात्र दोनों अंकों के खेल में व्यस्त हो गए हैं। उनका एक ही लक्ष्य सर्वाधिक अंक लाकर कुछ बनने का होता है। अध्यापक भी छात्रों के सर्वांगीण विकास के स्थान पर मानसिक विकास पर केन्द्रित होता है। इस भागदौड़ में जीवन के श्रेष्ठ नागरिक या अच्छा इंसान बनने के पहलू अछूते ही रह जाते हैं।

हमारे समय में शिक्षक एक ईश्वर की तरह वास्तविक रूप से पूज्यनीय होते थे। आज इस स्तर में बहुत बदलाव आया हुआ है। इसके लिए हम सभी समाज के लोग जिम्मेदार हैं। आज अभिभावक शिक्षक पर अपने बच्चों से ज्यादा भरोसा नहीं करता। पहले शिक्षक की बात पर विश्वास किया जाता था। पहले माता-पिता अपने से ज्यादा शिक्षक को बच्चों का शुभचिंतक मानते थे।

जब हम बच्चे का सर्वांगीण विकास की बात करते हैं, तो वह केवल किताबी ज्ञान में ही बौद्धिक रूप से सफल नहीं बना रहे हैं बल्कि व्यक्तित्व और विचारों से भी उन्हें जिम्मेदार नागरिक बनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। शिक्षकों को बच्चों के समक्ष उदाहरण बनना होगा। बच्चे माता पिता और साथियों की अपेक्षा शिक्षकों के विचार और व्यवहार को जल्दी अनुसरण करते हैं। जब जब अभिभावक यह कहता रहेगा कि बच्चों के लिए उनके पास समय नहीं है, तब तब बच्चों के प्रति हम अपनी जिम्मेदारी से दूर भाग रहे हैं। ऐसे में बच्चों को उनके दायित्व के प्रति केवल पढ़ाने मात्र से काम नहीं चलेगा। ऐसे बच्चे किशोर अवस्था तथा युवा अवस्था तक पहुंचते पहुंचते वे अपने जीवन का उद्देश्य निर्धारण नहीं कर पाते, ऐसे में उन्हें अपना जीवन नीरस लगने लगता है।

हमारी है ये जिम्मेदारी..
बच्चों को अपने जीवन के उद्देश्यों के प्रति जागरूक करना चाहिए। शिक्षण संस्थानों में क्लास मोनिटर बनाने के साथ उन्हें जो जिम्मेदारियां सौंपी जाती हैं, उसका कारण उन्हें जिम्मेदारी बोध कराना है। यही कारण है कि विभिन्न सदनों के माध्यम से बच्चों को कई प्रभार सौंपे जाते हैं। हम सभी शिक्षकों का कर्तव्य बनता है कि समाज व विद्यालय के हर बच्चे को सुसंस्कृत एवं संस्कारी बनाने का प्रयास करें, जिससे वह देश व समाज का एक जिम्मेदार नागरिक बन सके। अनुशासन प्रेम एवं वात्सल्य के साथ दी गई शिक्षा ही विद्यार्थियों को अच्छा नागरिक बना सकती है।

बच्चों को शुरू से ही उनकी जिम्मेदारियों के प्रति प्रेरित करना चाहिए। इसकी शुरूआत घर से की जानी चाहिए। घर के छोटी छोटी जिम्मेदारियां सौंपनी चाहिए। जैसे पढ़ाई से फुर्सत के दौरान छोटे मोटे सामान लाने के लिए बाजार जाने, घर में मेहमान आते हैं तो जलपान आदि परोसने, माता पिता के साथ बागवानी में हाथ बंटाने के लिए प्रेरित करना चाहिए। इससे बड़े होने पर वे अपनी जिम्मेदारी समझ सकेंगे। इससे उनमें घर व्यवहार की समझ विकसित होगी। इस दौरान गलती होने पर उन्हें डांटने के बजाय समझाते हुए प्रेरित करना चाहिए। कई बार अभिभावक बच्चों को नालायक या बिल्कुल ही नाकारा मानने लगते हैं। इससे बच्चों के मानस पटल पर गलत प्रभाव पड़ता है। हमें इससे बचना चाहिए। बच्चे गलती करें तो भी उनके काम की तारीफ करते हुए उनकी खामियों को बताना चाहिए ताकि वे अगली बार उन गलतियों को नहीं दोहराएं। बच्चों को अपना जीवन जीने के लिए प्रेरित करना चाहिए। हमारा दायित्व केवल उन्हें मार्गदर्शन करने का होना चाहिए।

[metaslider id="122584"]
[metaslider id="347522"]