कोरबा,06 जुलाई । रेल प्रशासन का कोयला डिस्पैच करना ही प्राथमिकता रह गया है। चाहे यात्री कितनी भी परेशानी से क्यों न गुजरें। एसईसीएल की खदानों से उत्पादित कोयला देश के प्लांटों में भेजने के लिए रोजाना गुड्स ट्रेनों के बीच आने वाली यात्री ट्रेनों को पीछे छोड़ना आम बात हो गई है। यही वजह है कि मुख्य स्टेशनों के प्लेटफार्म की लाइन को भी मालगाड़ियों के उपयोग में लिया जाने लगा है। कोरबा रेलवे स्टेशन में अक्सर प्लेटफार्म नंबर 2 या 3 पर कोई न कोई गुड्स ट्रेन खड़ी रहती है। जिसके कारण यात्री ट्रेनों को समय पर सिग्नल नहीं मिल पाता और वे बिना वजह विलंब हो जाती हैं। जिससे यात्री परेशान होते रहते हैं।
15 ट्रैक में से 3 यात्री ट्रेन के लिए, फिर भी पड़ रहे कम कोरबा रेलवे स्टेशन पर यात्री के साथ गुड्स ट्रेनों का आवागमन सामान्य बना रहे इसलिए 15 ट्रैक बनाए गए हैं। जिसमें से 3 ट्रैक प्लेटफार्म नंबर 1 व 2-3 यात्री ट्रेनों के लिए हैं तो शेष 12 ट्रैक गुड्स ट्रेनों के लिए। बावजूद इसके गुड्स ट्रेनों के लिए ये ट्रैक कम पड़ रहे हैं। जिसके कारण यात्री ट्रेनों के समय पर प्लेटफार्म के ट्रैक पर गुड्स ट्रेनों को ठहराव दे दिया जाता है। रात के समय तो स्थिति यह रहती है कि प्लेटफार्म नंबर 1 को भी नहीं छोड़ा जाता है।
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