Artificial Sweetner & Diabetes: आर्टिफिशयल शुगर से कैंसर का खतरा, डायबिटीज पेशेंट अब क्या करें?

Artificial Sweetner & Diabetes: आर्टिफिशियल स्वीटनर को चीनी का विकल्प कहा जाता है, जिसमें कम कैलोरी वाले मिठास के होने का दावा किया जाता रहा है। यही वजह है कि डायबेटिक और नॉन-डायबेटिक दोनों तरह के लोगों ने इसपर अपना भरोसा दिखाते हैं इसका इस्तेमाल शुरू कर दिया। ऐसा माना जाने लगा कि आर्टिफिशियल स्वीटनर्स सुरक्षित हैं और कैलोरी के बिना खाने में चीनी वाली मिठास जोड़ते हैं।

वहीं, साधारण चीनी की तुलना में यह कई गुना अधिक मीठे होते हैं, जिसकी वजह से इन्हें बेहद कम मात्रा में इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है। लेकिन हाल में डब्ल्यूएचओ की तरफ से आर्टिफिशियल स्वीटनर को लेकर हुए एक खुलासे ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। खासकर डायबिटीज पेशेंट्स की। ऐसे में सवाल यह उठता है कि मधुमेह की बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए अब चीनी का क्या विकल्प है? इसके लिए हमने डॉ. अनुराग सहगल, कंस्लटेंट, इंटरनल मेडिसिन, फोर्टिस एस्कॉर्ट हॉस्पिटल, फरीदाबाद से बातचीत की।

आर्टिफिशियल स्वीटनर पर डब्ल्यूएचओ ने क्या कहा?

सामने आई इस ताजा रिसर्च में यह पाया गया कि कोल्ड ड्रिंक्स और च्युइंग गम आदि में मिठास के लिए आर्टिफिशियल स्वीटनर ‘एस्पार्टेम’ का इस्तेमाल किया जाता है। लगातार एस्पार्टेम का सेवन शरीर में कैंसर का कारण बन सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट के मुताबिक एस्पार्टेम एक कार्सिनोजेनिक है, जो शरीर में कैंसर सेल्स को ट्रिगर करने का काम कर सकता है। ऐसे में आम लोगों के साथ-साथ डायबिटीज पेशेंट, जो आर्टिफिशियल स्वीटनर के सहारे अपने खाने में मिठास को शामिल कर रहे थे, उनके लिए भी यह गरही चिंता का कारण बन गया है।

डायबिटीज में आर्टिफिशियल स्वीटनर लेना कितना सुरक्षित?

डॉ. अनुराग सहगल के मुताबिक डायबिटीज के मरीजों के लिए डाइट कंट्रोल करना बेहद जरूरी होता है। ऐसे में शुगर लेवल को नियंत्रित रखने के लिए, कार्बोहाइड्रेट्स का सेवन नियंत्रित किया जाना चाहिए, क्योंकि ऐसे फूड्स शरीर में शुगर के रूप में बदल जाते हैं। आर्टिफिशियल चीनी इस कार्बोहाइड्रेट्स का एक प्रकार होती है। डॉ. सहगल कहते हैं कि कुछ डायबिटीज के मरीज़ आर्टिफिशियल स्वीटनर का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन यह डायबिटीज के नियंत्रण को प्रभावित कर सकती है। कुछ डायबिटीज के मरीज़ इसे लेने से बचते हैं या कम इस्तेमाल करते हैं।

अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) और यूरोपीय खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण (EFSA) के अनुसार, सुक्रालोज़, सैकरिन और स्टीविया जैसे आर्टिफिशियल स्वीटनर आम तौर पर इस्तेमाल के लिए सुरक्षित होते हैं। उनका मानना है कि ये कैलोरी में कम या कैलोरी-फ्री होते हैं और ब्लड शुगर लेवल नहीं बढ़ाते हैं।

हालांकि, लेटेस्ट रिसर्च के मुताबिक, आर्टिफिशियल स्वीटनर का ज्यादा इस्तेमाल शरीर में कुल कैलोरी बढ़ने का कारण बन सकता है, जिससे वजन बढ़ता है और मेटाबॉलिज्म को भी नुकसान पहुंच सकता है। इसके अलावा हाल ही में हुए खुलासे से यह भी मालूम पड़ता है कि एस्पार्टेम से कैंसर का खतरा भी बढ़ सकता है, इसलिए आर्टिफिशियल स्वीटनर के अधिक इस्तेमाल से बचना चाहिए।