8 महीने में एक दिन भी सही समय पर नहीं पहुंची लिंक एक्सप्रेस

विशाखापट्टनम से कोरबा आने वाले लिंक एक्सप्रेस के यात्रियों को राहत देने रेलवे ने नई समय सारणी 1 अक्टूबर 2022 को जारी की। इसमें इस गाड़ी को कोरबा एक घंटा पहले पहुंचाने की जुगत लगाई, लेकिन यह काम नहीं आई। यात्रियों को राहत तो नहीं मिली, लेकिन उनकी परेशानी और बढ़ गई। समय घटाने के बाद भी यह गाड़ी अपने निर्धारित समय तो दूर पूर्व के समय पर भी नहीं पहुंच रही है।

8 महीने पहले बदली गई समय सारणी के एक भी दिन ऐसा नहीं है, रेलवे के रिकार्ड में जब यह गाड़ी सुबह 11.15 बजे कोरबा आ गई हो। यात्रियों को यह कैसी राहत दी है समझ से परे है। यह विसंगति ही है कि इतने लंबे समय के बाद भी डिवीजन में बैठे अफसरों का ध्यान इस गाड़ी को समय पर चलाने को लेकर नहीं गया, जबकि यह गाड़ी अक्सर रायपुर अपने समय पर पहुंच जाती है। वहां से कोरबा के बीच की दूरी समय पर तय कराने में रेलवे के अधिकारियों का ध्यान नहीं गया। डिवीजन की गाड़ियों की लेटलतीफी को देखते हुए यात्रियों को ही मानसिक रूप से तैयार रहना होगा।

उन्हें यह मानकर चलना चाहिए कि वे जो यात्रा शुरू करने जा रहे हैं, वह तय समय से 3 से 4 घंटे देरी से ही पूरी होगी। ऐसा लिंक एक्सप्रेस के यात्री पिछले 8 महीने से मान भी चुके हैं। गाड़ी संख्या 18251 रायपुर-कोरबा हसदेव एक्सप्रेस भी यात्रियों को रुला रही है। यह कुछ दिनों से नियमित देरी से चल रही है। रात 9.45 बजे तय समय है लेकिन अक्सर दो घंटा देरी से आ रही है। शुक्रवार को भी यह गाड़ी रात 11.45 बजे कोरबा पहुंची थी, जबकि गुरुवार को रात 11.23 बजे आई थी। रात में वापस कोरबा आने वाले यात्रियों को परेशान होना पड़ रहा है।

रायपुर में 40 िमनट घटा समय 1 अक्टूबर कोे जारी समय सारणी अनुसार गाड़ी संख्या 18518 विशाखापट्टनम-कोरबा लिंक एक्सप्रेस 1 अक्टूबर से पहले रायपुर से सुबह 8 बजे रवाना होती थी, उस दिन से यह गाड़ी वहां 40 मिनट पहले अर्थात 7.20 बजे छूटती है। इसी तरह बिलासपुर से यह गाड़ी सुबह 10.20 बजे छूटती थी, जो 1 अक्टूबर से 9.20 बजे छोड़ने का समय निर्धारित किया गया। इस गाड़ी के पहले कोरबा दोपहर 12.15 बजे पहुंचने का समय तय था, जिसे सुबह 11.15 बजे किया गया है।

ट्रेन को समय पर चलाने में बिलासपुर मंडल नाकाम, मालगाड़ी को दे रहे प्राथमिकता ट्रेनों को विलंब से चलाने का रिकार्ड बिलासपुर मंडल के नाम बन चुका है। समय पर चलाने के लिए जब कभी भी बिलासपुर मंडल के सीनियर डीसीएस विकास कश्यप हो या सीपीआरओ साकेत रंजन, डीआरएम प्रवीण पाण्डेय ही क्यों न हों, सभी बात तो करते हैं पर यह संभव नहीं हो पाता है, क्योंकि उनकी प्राथमिकता तो सिर्फ व सिर्फ मालगाड़ियों को तवज्जो देना है। यात्री ट्रेनों को विलंब करने का मूल कारण भी यही है लेकिन अधिकारी इसे भी नहीं स्वीकार करते हैं। इस संबंध में तीनों ही अधिकारियों से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन किसी ने जवाब नहीं दिया।

25 जून को दोपहर 1.47 बजे, 26 जून को 3.01 बजे, 27 जून को 12.44 बजे, 28 जून को 1.13 बजे, 29 जून को 1.10 बजे, 30 जून को 1.34 बजे, 1 जुलाई को शाम 5.10 बजे कोरबा पहुंची। शुक्रवार को विशाखापट्टनम से ही इसे 2 घंटा देरी से रवाना किया गया था। इसके बाद भी इसे शनिवार को दोपहर 1.15 बजे पहुंच जाना था। रायपुर से सुबह 10.50 बजे रवाना होने के बाद भी कोरबा आते आते साढ़े 6 घंटा लग गया। जबकि अधिकतम 4 घंटे लगते हैं।