सिएटल। दुनियाभर में कैंसर के विभिन्न प्रकार विज्ञानियों की चिंता का कारण बने हुए हैं। कैंसर के ज्यादातर प्रकार का इलाज जल्दी जांच पर निर्भर करता है। इलाज के बाद भी कैंसर के दोबारा होने की आशंका बनी रहती है। दशकों तक सीमित सफलता के बाद अब विज्ञानियों को उम्मीद की नई किरण दिखी है।
अमेरिका के नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के डॉक्टर का कहना
माना जा रहा है कि अगले पांच साल में कैंसर को लेकर कई कारगर टीके विकसित किए जा सकते हैं। अमेरिका के नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के डा. जेम्स गुली ने कहा, ‘हमें कुछ हद तक सफलता मिल गई है। अब इसे और बेहतर करने की दिशा में काम हो रहा है।’ विज्ञानी जिस वैक्सीन पर काम कर रहे हैं, वह आम वैक्सीन से इतर होगी। सामान्यत: वैक्सीन का प्रयोग बीमारी से बचाव के लिए होता है।
जानलेवा त्वचा कैंसर मेलानोमा और पैंक्रियाज के कैंसर पर सफल रहा है प्रयोग
वहीं, कैंसर की वैक्सीन शरीर में बने कैंसर ट्यूमर को छोटा करने में सक्षम होगी और भविष्य में कैंसर को पनपने से रोकेगी। जानलेवा त्वचा कैंसर मेलानोमा और पैंक्रियाज के कैंसर पर इसी साल वैक्सीन के कारगर रहने के प्रमाण मिले हैं। अब स्तन कैंसर और फेफड़े के कैंसर को लेकर प्रयोग किए जा रहे हैं।
कैसे करेगी यह प्रक्रिया काम?
लगातार उन्नत होती टेक्नोलाजी के दम पर इस बात को लेकर स्थिति ज्यादा स्पष्ट हुई है कि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली से कैंसर कोशिकाएं स्वयं को कैसे छिपाती हैं। इसी को आधार बनाकर वैक्सीन बनाई जा रही है। जैसे इम्यूनोथेरेपी में प्रतिरक्षा प्रणाली को ही कैंसर कोशिकाओं को खोजने और खत्म करने में सक्षम बनाया जाता है, यह वैक्सीन उसी प्रक्रिया पर काम करेगी।
वैक्सीन पर काम चुनौतीपूर्ण
सिएटल स्थित कैंसर वैक्सीन इंस्टीट्यूट की डा. नोरा डिसिस ने कहा कि वैक्सीन के काम करने के लिए जरूरी होता है कि वह प्रतिरक्षा प्रणाली की टी-सेल्स को कैंसर जैसी कोशिकाओं को पहचानने में सक्षम बनाए। वैक्सीन पर काम चुनौतीपूर्ण है।
कैंसर के कुछ प्रकार को लेकर ऐसी वैक्सीन बनी हैं। हालांकि वैक्सीन लगने के बाद भी मरीज की कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली का फायदा उठाकर कैंसर फिर फैलने लगता है। पिछले प्रयोगों की इन्हीं विफलताओं से सीखते हुए विज्ञानी अब उस दिशा में बढ़ रहे हैं, जिससे इस तरह की वैक्सीन विकसित की जा सके, जिससे एक बार कैंसर ठीक होने के बाद दोबारा न पनपे।
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