Raigarh News : मानसून (monsoon)का बेताबी से इंतजार कर रहे थे खेती किसानी करनेवाले। वहीं गर्मी से बेहाल शहरवासी भी कर रहे थे । मानसून आया और खूब आया, देर से सही। इससे जहां किसानों (farmers)के चेहरे खिल गए वहीं लोगों को प्रचंड गर्मी से राहत मिली। बता दें की शहर के निचले इलाकों और बस्तियों में रहनेवालों पर मानों गाज ही गिर गई। भाजपा नेता शक्ति अग्रवाल (Shakti Agarwal)ने बताया कि इस बार मानसून की पहली बारिश ने ही जहां नगर निगम के बड़े बड़े दावों की पोल खोल कर रख दी, वहीं प्रशासन की कार्यशैली को भी बेपर्दा कर दिया।
मानसून से पूर्व नगर निगम ने मानसून के आने पर अपनी तैयारियों को लेकर काफी डींगें हांकी थी । नालों की सफाई , नालियों का निर्माण , निचली बस्तियों के लिए व्यवस्था सभी की हकीकत सामने आ गई । पहली बारिश में ही नाले बुरी तरह से उफन गए , रिहायशी इलाकों के कई वार्डों , नई आवासीय कॉलोनियां , बाजारों , शहर की सड़कें, गरीबों की निचली बस्तियों सभी में जल जमाव की समस्या विकराल रूप से मुंह बाए खड़ी हो और निगम सिवा हाथ पर हाथ धरने के और कुछ नही कर पा रहा है। जिसका खामियाजा गरीब लोग भुगत रहे हैं । शहर के कई क्षेत्रों में तो नालियो को पाटकर उनका अस्तित्व ही समाप्त कर दिया गया है। ऐसे में आखिर पानी जायेगा तो जायेगा कहां ?
एक मिसाल पर गौर फरमाइए, छातामुड़ा चौक से कांशीराम चौक के बीच तिरुपति धर्मकांटा के बगल में कॉलोनी बनाई जा रही है । इस क्रम में वहां से होकर गुजरने वाले प्राकृतिक नाले को पाटकर उसे बिकुल खत्म कर दिया गया है। नतीजा गांधीनगर -2 की ओर जानेवाला रास्ता पानी से इस कदर भर गया है कि इसपर चलना तैरने के जैसा है । यही पानी बस्ती के घरों में भी भर रहा है , जिससे लोगों में खौफ पैदा हो गया है। तीन साल पहले भी इसी तरह से निचली बस्तियों में पानी भरने की शुरुआत हुई थी जिसका अंत लगभग 50-60 घरों के रहवासियों का सामुदायिक भवन में ठहराव और दर्जनों कच्चे मकानों का धराशायी होने के रूप में सामने आया था । गौरतलब है कि एक प्रकरण पुसौर तहसील और एस डी एम कार्यालय में भी दर्ज होना बताया जा रहा है, पर इन रसूखदारों के आगे प्रशासन भी बेबस है लिहाजा प्राकृतिक नाले की तो मौत हो ही चुकी है और अब बारी है बस्ती वालों के नारकीय जीवन जीने की। जिन्होंने मिट्टी पाटकर प्राकृतिक ढलान खत्म कर दिया है जिससे कांशीराम नगर , विनोबा नगर , गांधीनगर -1 नवापारा आदि में जल भराव की समस्या उत्पन्न हो गई है । लगता है कि नगर निगम ने इस समस्या को लेकर पूरी तरह हाथ खड़े कर दिए हैं। बारिश का पानी, घरों की निस्तारी का गंदा पानी , नालों का गंदा पानी सभी अवरुद्ध पड़े हैं और लोगों की जिंदगियों को खतरे में डाल रहे हैं पर इस तरफ जिम्मेदारों का कतई ध्यान नहीं है । होगा भी कैसे ? जब बीते पांच सालों में शहर के मुख्य मार्ग गोपी टाकीज रोड पर होनेवाले जल जमाव को जिम्मेदार आज तक नहीं रोक पाए उसी तरह चक्रधर नगर के किलो चक्र का नजारा तो देखने लायक है इस मार्ग से कलेक्ट्रेट व न्यायालय का मुख्य मार्ग माना जाता है जोकि एकदम व्यस्त मार्ग में माना जाता है जहां सैकड़ों लोगों का आना जाना होता बारिश के पानी सड़क पर आ जाने से वहां से आवाजाही करने वाले लोगों को भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है चक्रपथ की ऊंचाई को बढ़ाने को लेकर फंड जारी हो चुका है मगर नगर निगम की लापरवाही के कारण यह दिन देखना पड़ रहा है। फंड पास हो जाने के बाद आधे अधूरे काम को छोड़कर नगर निगम अपनी वाहवाही लूटने में लगी है जब यह हाल वीआईपी रोड का है तो, निचली बस्तियों के गरीबों की किसे परवाह है एक-एक दिन की बारिश ने नगर निगम के सारे सच्चाई का पोल खोल दिया।
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