राजनांदगांव ,26 जून । वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी एवं छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल धनोरा बालोद के सेनानी डीआर आचला ने कहा कि राष्ट्र व समाज के उपर जब-जब विपत्ति आई है, उसके निवारण हेतु आदिवासी समाज नेे बहुमूल्य भूमिका अदा की है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र व समाज के संकट के समय आदिवासी समाज के महापुरूषों एवं देशभक्तों ने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर राष्ट्रभक्ति की अनुपम मिशाल पेशकश की है। आचला रविवार 25 जून को राजनांदगांव जिले के छुरिया विकासखण्ड के सुदूर अंचल के ग्राम सीताकसा में आदिवासी समाज द्वारा आयोजित वीरांगना दुर्गावती बलिदान समारोह में अपना उद्गार व्यक्त कर रहे थे। आचला कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता गोंडवाना समाज के अधिकारी-कर्मचारी प्रकोष्ठ के संभागीय अध्यक्ष एवं जिला जनसंपर्क अधिकारी बालोद चंद्रेश ठाकुर ने किया।
कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में पूर्व जनपद सदस्य अंबिका मण्डावी, गोण्डवाना समाज के युवा प्रभाग के संभागीय अध्यक्ष अंगद सलामे, कार्यक्रम के संयोजक भूपेन्द्र मण्डावी, गोण्डवाना समाज के अधिकारी-कर्मचारी प्रकोष्ठ के संभागीय उपाध्यक्ष मन्नेसिंह मण्डावी, सर्कल अध्यक्ष आत्माराम तुमरेकी, सर्कल उपाध्यक्ष मानसिंह मण्डावी सहित बलदाऊ मण्डावी, नरेश ठाकुर, तुलसी मण्डावी, ललिता मण्डावी, माखन प्रसाद मण्डावी, पवन सोरी, सुरेन्द्र धावड़े, बिंझवार मण्डावी, मानसिंह मण्डावी, बालूलाल मण्डावी, पुनाराम मरकाम, महेन्द्र मण्डावी सहित अन्य अतिथिगण उपस्थित थे।
आचला ने कहा कि वीरांगना दुर्गावती आदिवासी समाज सहित समूचे भारतवर्ष की गौरव थी, उन्होंने स्वजातिय जनों को उनके त्याग, बलिदान एवं आदर्शों को आत्मसात करने की अपील भी की। आचला ने समाज के विकास के लिए शिक्षा को महत्वपूर्ण अस्त्र बताते हुए, समाज के लोगों को इसके प्रचार-प्रसार हेतु समुचित कदम उठाने तथा कुरितियों से दूर रहने की अपील की।
कार्यक्रम के अध्यक्ष चन्द्रेश कुमार ठाकुर ने वीरांगना दुर्गावती का अपने राष्ट्र व समाज के प्रति प्रेम तथा उनका त्याग एवं बलिदान के साथ-साथ अदम्य साहस एवं पराक्रम अपने आप में अद्वितीय एवं अद्भूत था। उस समय के सबसे ताकतवर शासक अकबर के सामने जो चुनौति पेश की थी, वह इतिहास के विरल उदाहरणों में से एक है। ठाकुर ने समाज के लोगों को वीरांगना दुर्गावती के त्याग एवं बलिदानोें से प्रेरणा लेने तथा संगठित होकर अपने अधिकारों के लिए निरंतर संघर्ष करने को कहा। उन्होंने समाज के विकास के लिए शिक्षा को ब्रम्हास्त्र एवं नशापान को सबसे बड़ा शत्रु बताते हुए इन दोनों विषयों को गंभीरता से काम करने की आवश्यकता बताई।
गोण्डवाना युवा प्रभाग के संभागीय अध्यक्ष अंगद सलामे ने वीरांगना दुर्गावती के त्याग, बलिदान और साहस को अद्भूत एवं अद्वितीय बताते हुए समाज के लोगों को इससे प्रेरणा लेने की अपील की। उन्होंने सभी स्वजातिय जनांे को वर्तमान दौर का सामना करने के लिए निरंतर सजग एवं सक्रीय रहकर अपने अधिकारों के प्रति संघर्ष करने को कहा। कार्यक्रम को सेवानिवृत्त शिक्षक बलदाउ मण्डावी एवं अन्य अतिथियों ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर गोण्डवाना समाज के लोगों ने कलश यात्रा निकालकर पूरे ग्राम का भ्रमण किया।
इस दौरान वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी डी.आर.आचला एवं अतिथियों ने आदिवासी मांदरी दल के कलाकारों के साथ झुमकर मांदरी नृत्य किया, जो कार्यक्रम में खासा आकर्षण का केन्द्र था। जिसका कार्यक्रम में सभी लोगों ने मुक्तकंठ से सराहना की। कार्यक्रम में माखन प्रसाद मंडावी, सोहन मंडावी, महेन्द्र मंडावी, बिंझवार मण्डावी सहित अन्य सामाजिक प्रमुखों के अलावा विशाल संख्या में गोण्डवाना समाज के लोग उपस्थित थे।
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