अंखड रामायण पाठ के साथ पांच बटुकों का उपनयन संस्कार

जगदलपुर । बस्तर गोंचा पर्व में भगवान जगन्नाथ, माता सुभद्रा व बलभद्र स्वामी के गुंडिचा मंदिर-सिरहसार भवन में विराजित होने के बाद भगवान के दर्शन और पूजन के लिए हजारो श्रद्धालु रोजाना पहुंच रहे हैं। शुक्रवार सुबह गुंडिचा मंदिर-सिरहसार भवन में रामचरितमानस का अखंड पाठ शुरू किया गया, 24 जून को इसका परायण किया जाएगा। 360 घर आरण्यक ब्राहम्ण समाज के वरिष्ठ सदस्य बनमाली पानीग्राही के परिवार के द्वारा अनवर तविगत 33 वर्षों से अंखड रामायण पाठ का आयोजन किया जा रहा है। वहीं समाज के संस्थापक अध्यक्ष स्व. मोहन पानीग्राही के परिवार के द्वारा विगत 40 वर्षों से बस्तर गोंचा पर्व में प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी 5 बटुकों का हुआ नि:शुल्कउपनयन संस्कार संपन्न करवाने में अपना योगदान दिया।



गोंचा महापर्व में भगवान जगन्नाथ, माता सुभद्रा व बलभद्र स्वामी के गुंडिचा मंदिर-सिरहसार भवन में विराजित होने के साथ ही रोजाना अमनिया भोग के अर्पण के साथ रोजाना हजारो श्रृद्धालु जगन्नाथ के भात का प्रसाद के लिए पंहुच रहे हैं, वहीं रोजाना 15-20 श्रृद्धालु सत्यनारायण कथा श्रृवण करने का सिलसिला अनवरत जारी है। प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी बस्तर गोंचा पर्व में गुंडिचामंदिर-सिरहसार भवन मेंअखंड रामायण पाठ का शुभारंभ किया गया। आज सुबह आठ बजे शुरू हुआ संगीतमय अखण्ड रामायण पाठ अनवरत 24 घंटे तक चलेगा।



360 घर आरण्यक ब्राहम्ण समाज के ईश्वर खंभारी ने बताया कि बनमाली पानीग्राही के परिवार के द्वारा अखण्ड रामायण पाठ का आयोजन अनवरत 33 वर्षों से बस्तर गोंचापर्व में गुंडिचा मंदिर-सिरहसार भवन में आयोजित किया जा रहा है। उन्होने बताया कि बस्तर गोंचा पर्व में प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी नि:शुल्क उपनयन संस्कार की परंपरा का निर्वहन करते हुए 05 बटुकों का उपनयन संस्कार किया गया, इस परंपरा को 360 घर आरण्यक ब्राहम्ण समाज के संस्थापक अध्यक्ष स्व. मोहन पानीग्राही के द्वारा अपने स्वयं के खर्च पर 40 वर्ष पूर्व शुरू करवाया था। जिसका अनुसरण उनके पुत्र स्व. उमेश पानीग्राही ने भी बखूबी निभाया वर्तमान में स्व.उमेश पानीग्राही के पुत्रों उत्तम पानीग्राही, हेंमत एवं जोगेंद्र पानीग्राही व अन्य परिजनों के द्वारा इस परंपरा को तीसरी पीढ़ी में अनवरत निर्वहन किया जा रहा है।

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