भोपाल। राजधानी में श्वानों को पालने का चलन बढ़ता जा रहा है। इनके लाइफस्टाइल सैलून से लेकर अब कई हॉस्टल और ट्रेनिंग सेंट्रर भी खुल चुके हैं। लेकिन एक आनर्स और श्वानों के बीच तालमेल नहीं बैठ पाता है। ये ट्रेनर्स डॉग्स और ऑनर्स को एक-दूसरे से अटैच करते हैं। शहर में ऐसे कई डॉग ट्रेनर्स हैं, जो सेलिब्रिटी के डॉग से लेकर कई बड़े अफसरों के कुत्तों को ट्रेंड कर चुके हैं। कुछ डॉग्स तो फिल्मों में भी काम कर चुके हैं।
जानिए ऐसे डॉग ट्रेनर्स की कहानी…
प्रशिक्षण के बाद कई फिल्मों में काम कर चुके हैं श्वान
14 साल से श्वानों को लगातार ट्रेनिंग दे रही श्वेता सिंह अब तक 500 से ज्यादा डॉग्स को ट्रेनिंग दे चुकी है। इन्होंने कई आइइएस, आइपीएस के डॉग्स को ट्रेनिंग दी हैं। इनके बेल्जियम मैलिनोइस ब्रीड के डॉग ने मेरे देश की धरती समेत कई अन्य मूवीज और डेली सोप में काम किया है।
श्वेता ने बताया कि मेरे हसबेंड डॉग लवर हैं। वे अभी मध्यप्रदेश डॉग स्क्वायड में कार्यरत हैं। उन्हें देखकर मैंने डॉग पाला। इसके बाद हमने मिलकर डॉग ट्रेनिंग सेंटर और हॉस्टल शुरु किया। अब ट्रेनर्स की मदद से घर जाकर भी डॉग और ऑनर्स को ट्रेनिंग देते हैं। एग्रेसिव से लेकर इमोशनल डॉग्स अब मैं हर तरह के डॉग को हैंडल कर सकती हूं।
27 साल पहले दो श्वानों से शुरुआत की, आज हर दिन 10 डॉग्स को ट्रेनिंग दे रहे
47 वर्षीय जितेंद्र कुमार मिश्रा रोज 10 से 11 फैमिलीज में जाकर उनके डॉग्स को होम फ्रेंडली बनाते हैं। इन्होंने करीब 27 साल पहले दो श्वानों से शुरुआत की थी। आज ये भारत के कई अलग-अलग शहरों में जाकर भी ट्रेनिंग देते हैं। राजधानी में बी.एस बाजपेयी, लेफ्टिेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी, डा. बीएस यादव, अयाज अंसारी समेत अन्य कई बड़े सरकारी अफसर, दिग्गज नेताओं, एमपी पुलिस और बिजनेसमैन के डॉग्स को ट्रेन कर चुके हैं।
जितेंद्र ने बताया कि मेरे पिता स्वर्गीय दुर्गा प्रसाद मिश्रा ने 1965 में एमपी पुलिस में श्वान दल की स्थापना की थी। वे लंबे समय तक वहीं कार्यरत थे। तो मैं बचपन से ही श्र्वानों के बीच पला-बढ़ा हूं। मुझे हर डॉग से गहरा अटेचमेंट रहता है। ट्रेनिंग के 10 साल बाद भी मैं उनसे और उनके परिवार से जुड़ा रहता हूं। कई बार मैं मिलने भी निकल जाता हूं।
विराट कोहली के श्वान को दे चुके हैं प्रशिक्षण
राहुल पाटिल कहते हैं कि 22 साल की उम्र में पहली बार मैं श्वान लेकर आया। उनकी ब्रीडिंग करवाई और धीरे-धीरे इनसे गहरा रिश्ता हो गया। इसके बाद ये आफिशियल ट्रेनिंग लेने दिल्ली पहुंचे। वहां विराट कोहली के डॉग को भी ट्रेनिंग दी। 10 सालों में ये 200 से अधिक डॉग्स को डिफेंस ट्रेनिंग, होम ट्रेनिंग, पाजिटिव ट्रेनिंग, लीडरशिप ट्रेनिंग दे चुके हैं। इन्होंने कई एग्रेसिव डॉग्स को अपनेपन से कूल डॉग बना दिया। इनके डॉग्स कई डॉग कॉम्पीटिशन शॉज में हिस्सा ले चुके हैं।
वह बताते हैं कि इंसानों की तरह ही डॉग्स के भी मूड स्विंग्स होते हैं। इन्हें पालने से पहले इनके बारे में जानकारी होना जरूरी है। अगर उनके साथ ऑनर जबरदस्ती करते हैं तो वे अग्रेसिव हो जाते हैं। इसलिए डॉग्स की ट्रेनिंग के साथ ऑनर्स की ट्रेनिंग जरूरी है।
विशेषज्ञ ने बताया कि ये ट्रेनिंग करीब दो महीने से लेकर 9 महीने तक होती है। हर महीने 8 से 10 हजार का खर्चा होता है। इसमें कुत्तों को 15 बेसिक कमांड्स सिखाई जाती है। इसके अलावा पेट ऑनर की भी ट्रेनिंग होती है। दरअसल लोग डॉग से जबर्दस्ती करने लगते हैं। उनका मन नहीं होने पर भी घुमाते हैं और खेलने के लिए मजबूर करते हैं। इस कारण वे चिढ़चिढ़े हो जाते हैं। इसलिए सही ट्रेनिंग जरूरी है।
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