ग्रेजुएशन खत्म होने के सालों बाद भी नहीं मिली डिग्री, छात्रों के भविष्य अधर में

चेन्नई। युवा देश के भविष्य हैं वो जितनी प्रगति करेंगे उतना ही देश का विकास होगा। ऐसे में देश के युवाओं पर खास ध्यान दिया जाता है। उनकी पढ़ाई से लेकर रोजगार तक हर चीज पर सरकार का फोकस रहता है। लेकिन तमिलनाडु में इस वक्त स्थिति अलग नजर आ रही है। यहां के युवाओं के भविष्य पर खतरा मंडराता नजर आ रहा है है। वजह है प्रशासन। यहां युवाओं की आंखों में बड़े-बड़े सपने हैं, इन सपनों को पूरा करने की काबिलियत भी है लेकिन इसके बावजूद वो इन सपनों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि उनके पास वो चीज ही नहीं है जो उनके सपनों को पूरा करने के लिए बहुत जरूरी है। उनकी डिग्री. तमिलनाडु में लाखों युवा ऐसे हैं जिनको उनकी ग्रेजुएशन खत्म होने के सालों बाद भी डिग्री नहीं मिली है। इसकी वजह भी हैरान करने वाली है।

अभी तक कोई कॉन्वोकेशन नहीं
दरअसल छात्रों को डिग्री देने के लिए मद्रास यूनिवर्सिटी में अभी तक कॉन्वोकेशन ही आयोजित नहीं किया गया है और इसी के चलते उन्हें डिग्री नहीं मिल पा रही है. ऐसे में कई छात्रों के प्लान होल्ड पर हैं. एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक 12 स्टेट यूनिवर्सिटी के 9 लाख से ज्यादा योग्य युवा डिग्री न होने के चलते बीच में अटके हुए हैं। राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री डॉक्टर पोनमुडी ने इसके लिए चांसलर, राज्यपाल आरएन रवि को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने आरोप लगाया है कि राज्यपाल कॉन्वोकेशन में बतौर चीफ गेस्ट केवल केंद्रीय मंत्रियों को ही बुलाना चाहते हैं जबकि राज्य में कई विद्वान और वाइस चांसलर हैं।

भारथिअर यूनिवर्सिटी में स्थिति और भी खराब
वहीं कोयंबटूर के भारथिअर यूनिवर्सिटी में स्थिति और भी खराब बताई जा रही है। यहां एक साल से कोई वाइस चांसलर ही नहीं है और उनके बिना कॉन्वोकेशन होना मुमकीन नहीं है. पिछले साल राज्य विधानसभा में राज्यपाल को चांसलर पद से हटाने के लिए बिल पारित किया गया था लेकिन राज्यपाल ने इस पर अपनी सहमति नहीं दी। रिपोर्ट में राज भवन सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि 7 विश्वविद्यालयों ने कॉन्वोकेशन के लिए तारीख पर मंजूरी मांगी थी। वहीं राज्यपाल ने इनमें से केवल 4 को ही मंजूरी दी है

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