नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रदूषण के कारण हवा जहरीली हो गई है। खुली हवा में स्वांस लेना जानलेवा साबित हो रहा है और प्रदूषित हवा के कारण लोग गंभीर बीमारी की चपेट में आ रहे हैं।
दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार एवं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा प्रदूषण को कम के लिए लगातार किए जा रहे हैं जिसके तहत डीजल से चलने वाले जनरेटर पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है । दिल्ली एनसीआर में एक अक्टूबर से डीजल से चलने वाले जेनरेटर के इस्तेमाल पर पाबंदी होगी।
हालांकि, स्वच्छ ईंधन पर और डुअल मोड पर चलने वाले जेनरेटरों को छह अलग-अलग श्रेणियों में छूट रहेगी। केन्द्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने दिल्ली और सभी एनसीआर राज्यों को आदेश जारी किए हैं। राजधानी-एनसीआर में आमतौर पर प्रदूषण का स्तर सामान्य से ज्यादा रहता है, लेकिन सर्दी के मौसम में सबसे ज्यादा प्रदूषण होता है। प्रदूषण की बड़ी वजहों में डीजल जेनरेटर से निकलने वाले उत्सर्जन को भी शामिल किया जाता है।
इसी के चलते ग्रैप के लागू होने के समय से ही डीजल जेनरेटर का इस्तेमाल को रोकने या इसका इस्तेमाल सीमित करने पर जोर दिया जाता रहा है। 800 किलोवाट और उससे ऊपर वाले डुअल फ्यूल मोड या किसी अन्य उत्सर्जन नियंत्रण डिवाइस वाले जेनरेटर पर ग्रैप समय के अलावा कोई पाबंदी नहीं रहेगी। ग्रैप समय में दो घंटे चलाने की अनुमति रहेगी।
नए मानकों के अनुसार, बनाए 800 किलोवाट तक के जेनरेटर पर कोई पाबंदी नहीं है। आयोग ने स्पष्ट किया कि जिन शर्तों के साथ जेनरेटर के इस्तेमाल की छूट दी गई है, उसे लेकर 30 सितंबर तक तैयारियां पूरी कर ली जाएं। आयोग ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति और राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इन पाबंदियों को लागू करने और उनकी निगरानी करने के निर्देश दिए हैं।
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