विराग मुनि के 141 उपवास व पद विहार की सुखशाता के लिए दादागुरुदेव की बड़ी पूजा सम्पन्न

रायपुर ,04 जून । जिनकुशल सूरि जैन दादाबाड़ी, भैरव सोसायटी में पूनम तप चक्रवर्ती विराग मुनि के 141 उपवास के सुखशाता की मंगलभावना के साथ दादागुरुदेव की बड़ी पूजा बड़े उल्लासपूर्ण भावों से सम्पन्न हुई। ज्ञात हो कि विराग मुनि का 4 जून को 141 वां उपवास है और यह क्रम अभी आगे जारी है। जैन धर्म मे चारों दादागुरुदेव कि असीम कृपा रही है विशेषकर तृतीय दादा जिनकुशल सूरी तो प्रगट प्रभावी दादा है जो भी इनको मन से भक्ति भाव से पुजा अर्चना करता है उसे मनवांछित फल निश्चित ही प्राप्त होता है।

उपरोक्त उदगार पूजा के अनुष्ठान में अध्यक्ष संतोष बैद ने व्यक्त करते हुए दादागुरुदेव को नमन किया । सीमंधर स्वामी जैन मंदिर व दादाबाड़ी ट्रस्ट के महासचिव महेन्द्र कोचर ने बताया कि पूजा का आगाज मंत्र नवकार हमें है प्राणों से प्यारा के भजन से करते हुए सर्वप्रथम स्थापना का विधान नारियल अक्षत के साथ मंत्रोच्चार से प्रारम्भ हुआ। फिर प्रथम नवहन जल अभिषेक का विधान गुरु प्रतिख सुरतरु रूप सुगुरु सैम दूजो तो नही के बोलो के साथ संगमरमर की कलात्मक छतरी में विराजित मूर्तियो को पवित्र जल से अभिषेक कर पूर्ण विधि विधान से जल पूजा सम्पन्न किया गया।

इसी के साथ सुप्रसिद्ध गायक वर्धमान चोपड़ा , निर्मल पारख व विवेक बैद के भक्ति पूर्ण भजनों से भक्ति रस की अविरल गंगा प्रवाहित होने लगी कैसे कैसे अवसर में गुरु राखी लाज हमारी मोको सबल भरोसो तेरो चंद्रसूरी पट्टधारी के गुणानुवाद स्वरूप बोलो ने सभी को भाव विभोर कर दिया। इसी के साथ क्रमशः चंदन , धूप , दीपक , अक्षत पुष्प , नेवैद्य , फल के अर्पण द्वारा दादा गुरुदेव के अष्ठ प्रकारी पूजा का विधान सम्पन्न हुई। तत्पश्चात ध्वज पूजा चांदी की ध्वजा को महिलाओं द्वारा सिर पर रखकर धूप दीप व शंख व घन्टानाद द्वारा छतरी की 3 प्रदक्षिणा देकर ध्वज पूजन कर हरख भरी के बोलो के साथ शिखर पर ध्वजा समर्पित की गई। फिर वस्त्र व अर्ध्य पूजा का विधान मंत्रोच्चारो के साथ सम्पन्न कर पूजा का समापन आरती व मंगल दीपक द्वारा किया गया।



महेन्द्र कोचर ने आगे बताया कि 121  उपवास के अवसर पर खरतरगच्छाधिपति जिनमणि प्रभ सूरीश्वर ने विराग मुनि को तप चक्रवर्ती की उपाधि प्रदान की है । गुरुदेव विराग मुनि 141 उपवास के बावजूद चातुर्मास हेतु बालाघाट मध्यप्रदेश की ओर पद विहार करते हुए नगपुरा तीर्थ पहुंचे हैं। चमत्कारी जिनकुशल सूरि जैन दादाबाड़ी , भैरव सोसायटी में दादागुरुदेव की बड़ी पूजा कर अभिग्रह पूर्ण होने की प्रार्थना की गई।

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