नई दिल्ली ,02 जून । भारत का इतिहास इस बात का उदाहरण है कि जब-जब भारत में सेनाएं कमजोर हुई हैं, तब तब आक्रांताओं ने भारत को नुकसान पहुंचाया है। सेना किसी भी राष्ट्र की सिर्फ सीमाओं की सुरक्षा नहीं करती, बल्कि वह उस देश की सांस्कृतिक, आर्थिक और एक प्रकार से उस देश की पूरी सभ्यता की सुरक्षा करती है। शुक्रवार को नई दिल्ली में आयोजित एक इकनोमिक कॉन्क्लेव के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि इसलिए एक सरकार के रूप में हमने यह सुनिश्चित किया है, कि हमारी सेनाएं सशक्त हों, उनके पास अत्याधुनिक हथियार हों और उनमें यूथफुलनेस बनी रहे। हमने हर वो कदम उठाया है जिससे भारत की सैन्य ताकत बढ़े और हम वापस भारत को एक सुपर पावर बना पाएं।
रक्षा मंत्री ने स्पाइडर मैन फिल्म के एक डायलॉग का जिक्र करते हुए कहा कि ‘ग्रेट पावर कम्स विद ग्रेट रिस्पांसिबिलिटी’। उन्होंने कहा कि जब हम एक सुपर पावर के रूप में दुनिया के सामने आएंगे, तो हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि लोकतंत्र, धार्मिक स्वतन्त्रता, मानव की गरिमा और वैश्विक शांति जैसे जो वैश्विक मूल्य हैं, वो पूरी दुनिया में कायम हो सके। हां, हमें यह भी ध्यान में रखना होगा, कि हम अपने विचार किसी पर न थोपें।
रक्षा मंत्री ने बताया कि हम पहली ऐसी सरकार हैं, जिसने हथियारों के आयात के लिए खुद पर ही प्रतिबंध लगाया है। हमने सेनाओं की ओर से 411 आइटम की, एवं डिफेंस पीएसयू की 4,666 आइटम की सकारात्मक स्वदेशी लिस्ट जारी की है। इसमें शामिल लाइन रिप्लेसमेंट यूनिट, हथियार, गोले बारूद, मिसाइल और अन्य रक्षा साजो सामान शामिल हैं, जिनका निर्माण अब केवल और केवल हमारे ही देश में होगा।
आज हमारा स्वदेशी रक्षा उत्पाद का आंकड़ा भी 1 लाख करोड़ रूपए पार कर चुका है। रक्षा मंत्री ने कहा, अगर मैं निर्यात की बात करू, तो आज से 7-8 साल पहले रक्षा उपकरणों का निर्यात जहां एक हजार करोड़ रुपए भी नहीं हुआ करता था, वह आज लगभग 16 हजार करोड़ रुपए हो गया है। हमने मेक इन इंडिया और डिफेंस कॉरिडोर जैसी नई शुरूआत के माध्यम यह सुनिश्चित किया, कि हम भारतीय सेनाओं के इस्तेमाल के लिए अत्याधुनिक हथियार भारत में ही निर्मित करें, और यदि संभव हो तो हम उसे निर्यात भी करें।
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