ओड़िसा के सरकारी भट्ठियों से 90 फीसदी शराब की खपत छत्तीसगढ़ में

रायगढ़ , 29 मई ।   शहर समेत पूरे रायगढ़ जिले में शराब के शौकीन लोगों को पिछले करीब तीन महीनों से अपने मनपंसद ब्राँड की शराब मिल नहीं पा रही है। शराब के तमाम दुकानों में या तो चीप रेंज की शराब उपलब्ध है या फिर सर्वथा अपरिचित ब्राँड नाम वाला शराब मनमाने कीमतों में बेचा जा रहा है।

आलम यह है कि आज अगर आप शराब के किसी ब्राँड का बॉटल खरीदते हैं, तो दूसरे दिन उसी ब्राँड की शराब आपको मिल जाये इस बात की कोई गारंटी नहीं है। उम्दा और कीमती शराब पीने वाले लोगों के लिये खोली गई प्रीमियम जैसी दुकानों में भी प्रचलित ब्राँड की शराब उपलब्ध नहीं रहती। मतलब यह कि अगर आपको शराब पीनी ही है तो वही शराब पीनी होगी जो दुकानदार आपको पिलायेगा। आपके पास चयन का कोई अधिकार नहीं है।

ऐसा नहीं है कि प्रचलित ब्राँड वाले शराब की सप्लाई स्थानीय दुकानों में ना होती हो। होता यह है कि स्थानीय दुकानों में सप्लाई होने वाले प्रचलित ब्राँड की शराब या तो शहर में संचालित बार वालों को भेज दिये जाते हैं या आधा दर्जे के प्रशासनिक अधिकारियों के बंगलों में प्रचलित ब्राँड की शराब पहुंच जाते हैं।

छत्तीसगढ़ में चर्चित 2 हजार रूपये के शराब घोटाले की जाँच की कार्रवाई अभी चल रही है। जाहिर सी बात है कि कथित घोटाले का असर ही शराब के सामान्य कारोबार में दिखलाई पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में शराब घोटाले की जाँच कर रही एजेंसी को शराब दुकानों में उपलब्ध कराई जा रही शराब को लेकर भी जाँच करनी चाहिये। अगर ऐसा हुआ तो निश्चित है कि 2 हजार रूपये का शराब घोटाला बढ़ कर 20 हजार रूपये करोड़ का घोटाला भी हो सकता है।

छत्तीसगढ़ में चल रहे शराब के कारोबार की यह एक ही तस्वीर है इसी कारोबार की एक दूसरी तस्वीर भी है जिसमें छत्तीसगढ़ में प्रचलित ब्राँड के जिन शराबों को अनुपलब्ध कर दिया गया है वे तमाम ब्राँड के शराब पड़ोसी राज्य ओडि़सा से तस्करी के जरिये रायगढ़, महासमुंद और रायपुर जिले में खपाया जा रहा हैं।

रायगढ़ जिले के सीमा पर स्थित कनकतुरा गांव में ओडि़सा सरकार की शराब भट्ठी है जिसके ठेकेदार छत्तीसगढ़ के कुख्यात शराब ठेकेदार भाटिया है। कनकतुरा स्थित शराब भट्ठी की 90 फीसदी शराब की खपत रायगढ़ जिले में होती है। रायगढ़ से कनकतुरा की दूरी अधिकतम 15 कि.मी. है। शराब के तस्कर कनकतुरा से रायगढ़ तक पहुंचने वाले अलग-अलग रास्तों से रोजाना बड़े पैमाने पर कनकतुरा से प्रचलित ब्राँड की शराब लेकर आते हैं और एक बड़े मुनाफे में शराब की आपूर्ति रायगढ़ जिले के शराब के अघोषित कारोबारियों को करते हैं।

यह भी उल्लेखनीय है कि रायगढ़ के शराब के शौकीन जिनका कोई व्यवसायिक प्रयोजन नहीं होता कनकतुरा की भट्ठी से रोजाना चारपहिया और दोपहिया वाहनों के जरिये अपनी जरूरत के मुताबिक ब्रांडेड शराब लेकर आते हैं। स्थानीय पुलिस और आबकारी अमला गाहे-बगाहे ऐसे लोगों पर कार्रवाई कर अपनी खानापूरी कर लेता है।

महुआ शराब भी शराब कारोबार की इस स्थिति के चलते बड़े पैमाने पर बन और खप रहा है। इसके अलावे ओडि़सा के सीमांत गांवों से भी कच्ची शराब की तस्करी रायगढ़, महासमुंद और रायपुर जिले में हो रही है। महुआ और कच्ची शराब के मामले में भी पुलिस और आबकारी अमला अपनी सेंटिंग के हिसाब से कभी-कभार कार्यवाही की खानापूरी कर लेता है। अगर शराब के कारोबार की स्थिति यूं ही बनी रही तो उसके घातक नतीजों की आशंका को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता, लेकिन छत्तीसगढ़ की सरकार जिसके सामने विधानसभा का चुनाव आ चुका है उसे ऐसे घातक नतीजों की लगता है कोई परवाह ही नहीं है। उसका एकमात्र लक्ष्य सत्ता में वापसी और सत्ता का सूख भोगना ही है।