भारतीय संस्कृति में रोटी हमारे खान-पान का अहम हिस्सा है। यह हमारी संस्कृति से इस कदर जुड़ी हुई है कि अगर मां आपसे रोटी खाने को पूछती है तो इसका मतलब है कि वह आपसे सम्पूर्ण भोजन के बारे में पूछ रही हैं। लेकिन ज्योतिष शास्त्र में ऐसे भी कुछ अवसरों के बारे में बताया गया है जहां रोटी बनाने की मनाही है। अगर कोई इन नियमों का पालन नहीं करता तो इसका परिणाम बुरा भी हो सकता है।
किन अवसरों पर न बनाए रोटी
सनातन धर्म में मां लक्ष्मी से जुड़े त्योहार जैसे दीपावली आदि के दिन रोटी की जगह पकवान बनाने का विधान है। अगर इन अवसरों पर आप रोटी बनाते हैं तो इससे मां लक्ष्मी नाराज होकर आपके घर से जा सकती हैं।
शरद पूर्णिमा पर क्या है मान्यता
शरद पूर्णिमा की शाम को खीर बनाकर चांद की रोशनी में रखने की परम्परा है। इस खीर को अगले दिन प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात को आसमान से अमृत की वर्षा होती है।
शीतला अष्टमी पर क्यों न बनाए रोटी
शीतला अष्टमी पर माता शीतला देवी की पूजा की जाती है। उस दिन माता शीतला को बासी खाने का भोग लगाया जाता है और बचे हुए बासी खाने को भोग के रूप में ग्रहण किया जाता है। इस दिन घर में ताजा खाना बनाने की मनाही होती है इसलिए इस दिन रोटी भी नहीं बनती।
नागपंचमी पर क्या न करें
शास्त्रों के अनुसार तवे को नाग के फन का प्रतीक माना जाता है। इसलिए नाग पंचमी के दिन रसोई में चूल्हे पर तवा रखना वर्जित माना गया है। इसी कारण से रोटी भी नहीं बनाई जाती। जिन व्यंजनों में तवे का प्रयोग नहीं होता उन व्यंजनों को बनाया जा सकता है।
कब भूल से भी न बनाए रोटी
पुराणों में कहा गया है कि अगर घर में किसी की मृत्यु हो जाती है तो घर में भूलकर भी कोई भोजन नहीं बनाना चाहिए। इसी कारण रोटी बनाना भी वर्जित है। पुराणों के अनुसार मृत व्यक्ति की 13वीं संस्कार होने तक घर में रोटी नहीं बनाई जाती।
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