Kathal A Jackfruit Mystery Review: ‘विधायक जी का कटहल ढूंढ रही पुलिस’, सान्या मल्होत्रा की पॉलिटिकल सटायर में कितना है दम? पढ़ें रिव्यू

  • फिल्म का नाम : कटहल-ए जैकफ्रूट मिस्ट्री
  • निर्देशक: यशोवर्धन मिश्रा
  • कलाकार: सान्या मल्होत्रा, राजपाल यादव, विजय राज
  • रिलीज़ : नेटफ्लिक्स
  • रेटिंग : ** 1/2

Kathal A Jackfruit Mystery Review In Hindi: फिल्म कटहल- ए जैकफ्रूट मिस्ट्री नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हो चुकी है. इस फिल्म में सान्या मल्होत्रा के साथ राजपाल यादव, अनंत जोशी, विजय राज, विक्रम प्रताप, नेहा सराफ, गुरपाल सिंह प्रमुख भूमिका में नजर आए हैं. फिल्म को देखने से पहले अगर आप जानना चाहते हैं कि ये कैसी है तो ये रिव्यू जरूर पढ़ें.

ये कहानी है उत्तर प्रदेश के मथुरा की. मथुरा में रहने वाले एमएलए के गार्डन से दो कटहल चोरी हो जाते हैं. अंकल होन्ग ब्रीड के 15-15 किलो के दो कटहल चोरी होते हैं और फिर ये एमएलए पूरा पुलिस थाना सिर पर उठा लेता है. कटहल चोरी करने वाले के खिलाफ आईपीसी की धारा 378 के तहत का मामला दर्ज कराया जाता है. हर जगह ढूंढने पर भी जब कटहल नहीं मिलता तब एमएलए पुलिस अफसर को ये धमकी दे देते हैं कि अगर उनके कटहल नहीं मिले तो वो थाने को आग लगा देंगे.

कटहल को ढूंढने की जिम्मेदारी सीनियर पुलिस अफसर (राकेश बेदी) सब-इंस्पेक्टर महिमा बसोर (सान्या मल्होत्रा) और उनकी टीम को सौंपी जाती है. इस पूरे मामले को एक पत्रकार (राजपाल यादव) सनसनी बना देता है. इस दौरान पता चलता है कि कटहल शायद माली के बेटी ने चुरा लिया होगा, लेकिन अब क्या महिमा बसोर कटहल ढूंढने में कामयाब हो जाएगी या फिर ये मामला कुछ और मोड़ लेगा ये देखने के लिए आपको नेटफ्लिक्स पर कटहल- द मिस्ट्री ऑफ जैकफ्रूट देखनी होगी.

स्क्रिप्ट और डायरेक्शन

कटहल- द मिस्ट्री ऑफ जैकफ्रूट के जरिए सटायर स्टाइल से बेहद मनोरंजक कहानी यशोवर्धन मिश्रा ने दर्शकों के सामने पेश करने का प्रयास किया है. पुलिस प्रशासन और पॉलिटिक्स पर ये एक अच्छी और स्ट्रॉन्ग मैसेज देने वाली फिल्म बन सकती थी. लेकिन एक ही कहानी में सब कुछ शामिल करने की वजह से कुछ जगह फिल्म बोरिंग लगती है. क्योंकि कास्ट पॉलिटिक्स हो या फिर महिमा बसोर नाम की पुलिस अफसर की तरफ लोगों का देखने का नजरिया, ये पहले भी कई फिल्मों में दिखाया गया है.

स्क्रिप्ट की बात करें तो ‘हम इंडियन पीनल कोड फॉलो करते हैं लेकिन काम करना पड़ता है इंडियन पॉलिटिकल कोड के अधीन’, जैसे कुछ डायलॉग प्रभावशाली हैं. लेकिन कुछ जगह पर ऑडियंस के साथ फिल्म का कनेक्ट टूट जाता है, आखिरी 25 मिनट में फिर एक बार फिल्म दिलचस्प लगने लगती है. हालांकि फिल्म का क्लाइमेक्स और प्रभावशाली हो सकता था.

एक्टिंग

मथुरा में रहने वाली महिमा बसोर के किरदार में सान्या मल्होत्रा याद रहती हैं. अपनी ड्यूटी और अपने अंडर काम करने वाले बॉयफ्रेंड के बीच बैलेंस करने की कोशिश, एक पुलिस अफसर होकर भी लोगों का बर्ताव सहने का संयम, अन्याय के खिलाफ लड़ने का ऐटिट्यूड सान्या ने बड़े ही शानदार तरीके से पेश किया है. बाकी के कलाकार भी अपनी भूमिका में जमे हैं.

क्यों देखें

आप इस वीकेंड एक मजेदार कॉमेडी फिल्म देखना चाहते हैं तो ये फिल्म आपके लिए है. सान्या मल्होत्रा की एक्टिंग और कटहल की मिस्ट्री सुलझाते हुए होने वाला हंगामा देखने के लिए आप ये फिल्म जरूर देख सकते हैं.

क्यों न देखें

कटहल के साथ साथ ओटीटी पर और भी कई फिल्में रिलीज हुई हैं. गुनीत मोंगा की इस फिल्म से अगर आपको ज्यादा उम्मीद हैं तो ये फिल्म आप स्किप कर सकते हैं.