सुपेबेड़ा और पीपलखूंटा में चिकित्सकों ने किडनी रोगियों की जांच की

रायपुर ,12 मई  अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान और पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कालेज के चिकित्सकों ने मिलकर गरियाबंद जिले के सुपेबेड़ा और पीपलखूंटा में छह दिनों तक डोर-टू-डोर सर्वे कर किडनी रोगियों के महत्वपूर्ण डेटा एकत्रित किया और किडनी रोगों से पीड़ित स्थानीय रोगियों की जांच की। इस सर्वे के बाद चिकित्सकों की टीम ने वहां प्रत्येक शनिवार को ओपीडी संचालित करने, हीम्योडायलिसिस के लिए 24 घंटे बिजली प्रदान करने और देवभोग सीएचसी पर टेलीमेडिसिन की सुविधा प्रदान करने का प्रस्ताव दिया है।

डॉ. कमलेश जैन और डॉ. विनय राठौर के निर्देशन में 16 चिकित्सकों और तकनीकी कर्मचारियों ने छह दिनों के मध्य सुपेबेड़ा, धर्मगढ़ और मैनपुर तहसील में किडनी के गंभीर रोगों से पीड़ित रोगियों की जांच की और सैंपल एकत्रित किए। इस दौरान 10 अलग-अलग स्थानों से पानी के साथ वहां मिलने वाली शराब के भी सैंपल लिए गए जिससे किडनी रोग के कारणों का पता लगाया जा सके।

चिकित्सकों ने इन स्थानों से 272 रोगियों के रक्त और यूरिन के सैंपल एकत्रित किए। डॉ. विनय राठौर ने बताया कि सुपेबेड़ा के किडनी रोगियों पर आईसीएमआर द्वारा रिसर्च को मंजूरी प्रदान की गई है। इस परियोजना के अंतर्गत क्षेत्र में किडनी रोग का कारण पता लगाने के लिए सर्वे किया जा रहा है। इस दौरान अधिकारियों से चर्चा के बाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर चिकित्सा अधिकारियों को संख्या बढ़ाने और उन्हें गंभीर किडनी रोग संबंधी प्रशिक्षण प्रदान करने, देवभोग सीएचसी पर किडनी रोगियों के लिए आवश्यक इंजेक्शन फ्री में उपलब्ध कराने और डायलिसिस के लिए प्रशिक्षित मानव संसाधन प्रदान करने पर जोर दिया गया।

निदेशक प्रो. (डॉ.) नितिन एम. नागरकर ने चिकित्सकों के समन्वित प्रयासों की सराहना करते हुए सुपेबेड़ा और आसपास के क्षेत्रों के किडनी रोगियों को हर संभव चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है। चिकित्सा शिविर में डॉ. नेहा सिंह, डॉ. प्रवेश चौधरी, डॉ. अनीश कुमार साहा, डॉ. संदीप कुमार चंद्राकर सहित बड़ी संख्या में चिकित्सकों ने सहायता प्रदान की।