शंकराचार्य और शुक्राचार्य दोनों गुरु हैं, हम किसे मानें : राजीवलोचन दास

कवर्धा । रुद्र महायज्ञ, श्रीमद्भागवत ज्ञान सप्ताह, रामकथा, स्वामी रामदेव योग शिविर के दूसरे दिन स्वामी राजीवलोचन दास ने कहा कि मोक्ष स्वत: सिद्ध है। परमात्मा मोक्ष प्रदान नहीं करता। परमात्मा गुरु के रूप में अवतार लेता है। शिष्य को जीवात्म भाव से मुक्त होने का उपदेश प्रदान करता है, इसलिए मोक्ष का केवल स्मरण ही पर्याप्त है।

गणेशपुरम, कवर्धा में गणेश तिवारी द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत ज्ञान सप्ताह के दूसरे दिन स्वामि राजीवलोचन दास ने प्रवचन में कहा कि राजा परीक्षित ने सुकदेव रुपी गुरु जो कि स्वयं परमात्मा ही हैं, जिनके प्राप्त होने के बाद बंधा हुआ परीक्षित परम शांति को प्राप्त कर  लेता है। आखिर यह सात दिनों में परीक्षित को शाश्वत शांति क्यों प्राप्त हुई?  क्या सुकदेव ने कोई मंत्र किया या जादू टोना किया? नहीं, इन सात दिनों तक केवल उनको बंधन का और मोक्ष का स्मरण कराया, इसलिए गुरु प्राप्ति ही मोक्ष प्राप्ति का सहज साधन है।

जीवात्मा तो परमात्मा का स्वरूप है। अब गुरु कैसा हो, यह अलग विषय है। एक गुरु शंकराचार्य हैं और एक गुरु शुक्राचार्य हैं। दोनों के अलग अलग अनुयाई है। यदि हम अपने आप को मनुष्य मानते हैं, तो हमें शंकराचार्य का अनुसरण करना चाहिए, शुक्राचार्य का नहीं।

कार्यक्रम में आयोजक गणेश तिवारी, पतंजलि योग समिति हरिद्वार योगगुरु स्वामी नरेन्द्र देव, सुरेश चंद्रवंशी, राजकुमार वर्मा, मोतीराम चंद्रवंशी, डॉ. सियाराम साहू, शत्रुहन वर्मा, अजय चन्द्रवंशी, हजारी चन्द्रवंशी, रोहित जायसवाल, भागवत चन्द्राकर सहित श्रद्धालु उपस्थित थे।