संस्कारों की प्रथम सीढ़ी बच्चों का पहनावा : पं. अंश शास्त्री, पं. आदिश शास्त्री

रायपुर ,03 मई  आदिनाथ दिगम्बर जैन बड़े मंदिर चल रहे 8 दिवसीय श्रमण संस्कृति संस्कार शिक्षण शिविर मे पं अंश शास्त्री व पं. आदिश शास्त्री ने भारतीय परम्परागत परिधानो बताया के बारे मे बताया। उन्होंने कहा की हमे बच्चो को बचपन से ही संस्कारित करना है तो उनके भोजन के साथ साथ उन्हें पहनावे पर भी ध्यान देना होगा। क्योकि जैसा व्यक्ति कपड़े पहनते वैसे ही उसे विचार आते है। यदि आप किसी बच्चे को सफ़ेद कपड़े पहनाएँगे तो उसकी ऊर्जा अलग उसे मिलेगी। वही बच्चे यदि काले और फटे हुए कपड़े पहनाए तो उसका अलग प्रभाव होगा। इसलिय बच्चो को संस्क़ारित करना है तो उनके पहनावे पर भी ध्यान देना आवश्यक है।

उन्होंने  कहा कि हमे बच्चो को बचपन से ही सही कपड़े पहनने की आदत डालनी चाहिए जिससे बच्चे आगे चलकर किसी की देखा सीखी में किसी की भटकावे मे न आकर अपने भारतीय कपड़े पर ही अडिग रहे। हम देखते है की आज की आधुनिकता में देश में सब चीज़ परिवर्तित हो रही है। खाने से लेकर पहनावे तक यह सही है। पर ये बात भी विचारणीय है कि जो देश पहले सोने की चिड़िया के नाम से जाना जाता था वह अब बदल गया है। किस वजह से इसी आधुनिकता की वजह से। पहले के जमाने मे जहां व्यक्ति धोती-कुर्ता और साड़ी आदि ऐसे वस्त्रों का प्रयोग करते थे, जो ऊपर से नीचे तक हमारे शरीर को ढककर रखते थे। परंतु आज का पहनावा की तो बात ही क्या कहे ! भारतीय परिधान हमारी संस्कृति की पहचान है।

हमारे परिधानो सें हमारी भारतीय संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति, महिलाएं, बच्चे सभी को सुव्यवस्थित पहनावे का भी बीज अपने बच्चो में बोना चाहिए। बड़े मंदिर के अध्यक्ष संजय जैन नायक एवं उपाध्यक्ष श्रेयश जैन बालू ने बताया की 8 दिवसीय शिविर मे आगे बच्चों की धार्मिक विषयो मे चित्रकला, आरती की थाली सजाओ भक्ति गीत एवं अन्य विभिन्न स्पर्धा सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये गए है रविवार दिनांक 8 मई को शिविर मे भाग लिए बच्चों एवं बड़ो की परीक्षा भी आयोजित की जाएगी।