– शंकर पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार
जिस्म क्या है रूह तक सब कुछ ख़ुलासा देखिये
आप भी इस भीड़ में घुस कर तमाशा देखिये
छग के नक्सली प्रभावित दंतेवाड़ा में नक्सली हमले में 10 जवान शहीद हो गए। वहीं एक नागरिक(निजी वाहन का ड्राइवर)भी मारा गया है।सभी जवान डीआरजी (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड)के हैं। नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना पर जवान सर्चिंग के लिए निकले थे। वापसी में नक्सलियों ने आईईडी ब्लास्ट कर दिया। इसकी चपेट में जवानों का वाहन भी गया।
इसमें 10 जवान शहीद हो गए।बस्तर में नक्सलियों ने इस समय टीसीओसी (टैक्टिकल काउंटर अफेंसिव कैंपेन) चला रखी है।इस दौरान नक्सली अक्सर बड़े हमले करते हैं।इसके चलते फोर्स पहले से ही अलर्ट माेड पर है।इसी के तहत जवानों की भी सर्चिंग लगातार जारी है। पिछले सप्ताह बीजापुर कांग्रेस विधायक विक्रम मंडावी के काफिले पर नक्सलियों ने हमला किया था।वह साप्ताहिक बाजार में नुक्कड़ सभा कर लौट रहे थे। इसके तीन दिन बाद नक्सलियों ने प्रेस नोट जारी कर टीसीओसी चलाए जाने की बात कही थी।
हालांकि विधायक को निशाना बनाने की बात से इनकार किया था।इससे पहले साल 2021 मेंअप्रैल माह में ही नक्सलियों ने सबसे बड़ा हमला बीजापुर के तर्रेम क्षेत्र के टेकलगुड़ा में किया था। उस समय नक्सलियों ने बीजीएल (बैरल ग्रेनेड लॉन्चर) से हमला किया था। इसमें 22 जवान शहीद हुए थे और 35 से ज्यादा घायल हुए थे।नक्सली हमले के साथ ही जवानों से हथियार भी लूटकर ले गए थे। इसी दौरान नक्सलियों ने सीआरपीएफ कोबरा बटालियन के जवान राकेश्वर सिंह मन्हास का अपहरण किया था। हालांकि बाद में उसे रिहा कर दिया था।
छ्ग की राजनीति के रहे ये 3 चर्चित चेहरे
छत्तीसगढ़ विधानसभा का पांचवां चुनाव इसी साल दिसम्बर में होना हैं।अभी तक चर्चित 3 चेहरों में एक का निधन हो चुका है,दूसरे पर उनकी पार्टी क़ो ही भरोसा नहीं है हाँ, तीसरा चेहरा जरूर फूलफार्म में है।सन 2000 में नया राज्य बना और मप्र के लिये हुए विस चुनाव के आधार पर विधायकों की संख्या के आधार पर पहली सरकार कांग्रेस की बनी और नौकरशाह अजीत जोगी पहले सीएम बने।करीब 3 साल सरकार चलने के दिसम्बर 2003 में छ्ग में पहले विस चुनाव में भाजपा क़ो बहुमत मिला और डॉ रमन सिंह छ्ग के दूसरे सीएम बने फिर 2008,2013 के विस चुनावों में लगातार भाजपा की सरकार बनती रही और लगातार 15 साल तक सीएम बनने का रिकार्ड डॉ रमन सिंह ने बनाया।
पर 2018 के विस चुनाव में भाजपा15 सीटों में सिमट गईं तथा कांग्रेस की सरकार बनी उस चुनाव में अजीत जोगी की जोगी कांग्रेस भी मैदान में थी। खैर कांग्रेस हाईकमान ने भूपेश बघेल क़ो सीएम बनाया। अब दिसम्बर 23 में छ्ग विस का पांचवा चुनाव होना है।अजीत जोगी का निधन हो चुका है,डॉ रमन सिंह अब भाजपा हाई कमान की नजरों में मजबूत नहीं माने जा रहे हैं इधर,सीएम भूपेश बघेल अब काफ़ी मजबूत हो गये हैं,जनता तथा कांग्रेस आला कमान की नजरों में। जाहिर है कि भूपेश का मुकाबला अब छ्ग में पी ऍम नरेन्द्र मोदी के चेहरे से होगा क्योंकि आज तक भाजपा के पास प्रदेश स्तर पर कोई चेहरा नहीं हैं। जो चेहरे हैँ भी वे मोदी-शाह के पसंदीदा नहीं है। हाँ आम आदमी पार्टी भी पूरे दम ख़म से उतरने की तैयारी में हैं पर छ्ग ने पिछले चुनावों में जनता विद्याचरण शुक्ला और अजीत जोगी की पार्टी का हश्र देख चुकी है।वैसे आज की स्थिति में तो सत्ताधारी दल भारी दिख रहा है?
श्रीश्रीमाल परिवार और उसके योगदान पर एक किताब
लम्बे समय तक चले अकाल ने उन्नीसवीं सदी के अंतिम दशक में राजस्थान और गुजरात जैसे हिस्सों से अनेक लोगों को पलायन के लिए मजबूर किया। देश की पश्चिमी सीमा पर जोधपुर के पास भोजासर गांव के श्वेतांबर जैन धर्मावलम्बी वणिक सेठ आसकरण श्रीश्रीमाल के तीन बेटे भी इनमें शामिल थे। आसकरण के बेटे सेठ आसकरण श्रीश्रीमाल की चौथी पीढ़ी के सदस्य स्वरूपचंद जैन ने अपने परिवार के सफ़र को हाल ही में एक पुस्तक “द जाॅय ऑफ गिविंग” में लिपिबद्ध किया है। स्वरूपचंद लिखते है कि जिन दिनों सेठ आसकरण के बेटे धनराज जी अपना कारोबार खपोली में बढ़ा रहे थे,यह नयी रेल लाईन रायपुर से बिछना शुरू होकर और महानदी पार कर कोई अस्सी किलोमीटर दूर इनके खपोली गांव से कोई तीन किलोमीटर दूरी तक पहुंच गयी। पता चला जंगल में उस स्थान पर एक स्टेशन भी बन रहा है। स्टेशन के पास कोई आबादी तो थी।जिस भौगोलिक स्थान पर स्टेशन बन रहा था वह ऐसा स्थान था जो निचले लेवल पर था। पानी का बहाव ऐसी भूमि की दिशा में होता है और छत्तीसगढ़ में ऐसे स्थान को “बहरा” ज़मीन कहा जाता था। इलाके में बाघ इफ़रात में हैं यह तो वहां काम करने वालों ने स्वयं जान ही लिया था सो स्टेशन का नामकरण हो गया “बाघबहरा”।
इलाके में धान की प्रचुरता हमेशा से रही है। तब भी थी। लेकिन चावल बाज़ार में नहीं बेचा जाता था। जिस को जब जितनी ज़रूरत हो घर में कूट लिया जाता था। रेल लाईन और स्टेशन बनाने वाले ठेकेदार अपने साथ बड़ी संख्या में मज़दूरों और मिस्त्रियों के गैंग लेकर चलते थे। उनके साथ पटरियों पर आगे बढ़ते जाने वाली एक पोर्टेबल राइस मिलिंग मशीन भी होती जिसे एक अलग मोटर से चलाया जाता था। इस तरह धान से चावल प्राप्त करने की मशीन को इलाके में पहली बार देखा गया। सेठ धनराज जी के बड़े बेटे खेमराज ने अपने व्यावसायिक बुद्धि और उद्यमशीलता के बल पर इस मशीन के साथ अपने और अपने इलाके के भविष्य को जोड़कर अपार संभावनाओं को आंका और ठेकेदार के पीछे पड़कर वैसी ही एक मशीन अपने लिए मंगवा ली। यह मशीन दरअसल वह नींव का पत्थर साबित हुई जिस पर आगे चलकर छत्तीसगढ़ में राइस मिलों का साम्राज्य खड़ा हुआ। नये बने स्टेशन के आसपास की ज़मीन खरीदकर सेठ खेमराज ने अपना घर बनाया। मिल की स्थापना की,काम करने वालों के लिए घर बनाए, अस्पताल और पुलिस स्टेशन बने, दुकानें बनीं, और इस तरह बागबहरा नाम की एक बस्ती पैदा हुई जिसे आज कोई 25-30 हज़ार आबादी वाली नगर पंचायत का दर्ज़ा प्राप्त है। सेठ खेमराज ने अपने भाईयों – विशेषकर सेठ नेमीचंद के साथ मिलकर रायपुर से वाल्टेयर की रेल लाइन के साथ साथ चावल और तेल मिलों की कतार खड़ा करने का सपना देखा और उसे पूरा करने में लग गये। कुछ मिलें स्वयं खड़ी कीं किन्तु अधिकांश में राजस्थान से आये अन्य परिवारों के जानकार अनुभव और संसाधन साझा कर भागीदारी की।
देखते देखते खरियार रोड,केसिंगा, भीमखोज (खल्लारी का स्टेशन), नवापारा-राजिम, महासमुंद, बसना जैसे अनेक स्थानों में मिलें शुरू होने लगीं। विशाखापत्तनम में 1933 में लाॅर्ड विलिंगडन के हाथों बंगाल नागपुर रेल्वे द्वारा बनाये गये बंदरगाह का उद्घाटन हो चुका था। वहां भी सेठ नेमीचंद ने एक तेल मिल स्थापित कर दी और फिर आया 1940 का साल जब दूसरा विश्वयुद्ध शुरू होते ही ब्रिटेन में अनाज की कमी पड़ना शुरू हो गयी थी। कुछ ही समय में युद्ध क्षेत्र का विस्तार बर्मा में हो गया। भारत पर दबाव बना कि जहाजों से अधिक से अधिक अनाज भेजा जाए। यह अपने किस्म का पहला मौका था। सन 1940-41 में मध्य छत्तीसगढ़ में भी अवर्षा के कारण सूखे की विकराल स्थिति बनी थी,उस ज़माने में आज की तरह की फ़ूड कार्पोरेशन जैसी कोई एजेन्सी नहीं थी। अंग्रेज़ों के लिए श्रीश्रीमाल भाईयों की मदद अपरिहार्य हो गयी। सेठ खेमराज और छोटे भाई सेठ नेमीचंद ऐसे काॅमन सूत्र थे जो इलाके की सारी राईस मिलों को आपस में बांधते थे। अंग्रेज़ों ने इन्हे अपना ऐजेन्ट नियुक्त किया। इनके जिम्मे था रायपुर ज़िले के धमतरी, भाटापारा, नवापारा, राजिम, तिल्दा, नेवरा, बागबहरा, महासमुंद, आरंग, बसना और रायपुर जैसे स्थानों में फैली लगभग पचास राईस मिलों से हर रोज आवश्यक मात्रा में चावल एकत्र करना,परिवहन कर विभिन्न स्टेशनों पर पहुंचाकर गंतव्य के लिए डिस्पैच करना….सरकार से रायपुर स्थित इम्पीरियल बैंक (जयस्तंभ के किनारे स्थित अबका स्टेट बैंक) से भुगतान कलेक्ट करना और मिलों तक पैसों का वितरण सुनिश्चित करना,यही वह समय था जब सेठ नेमीचंद श्रीश्रीमाल को “राइस-किंग” की अनौपचारिक उपाधि मिली। आज़ादी के बाद छत्तीसगढ़ समेत मप्र में राइस मिलों की संख्या में इज़ाफ़ा होता गया और साथ ही राइस मिल मालिकों के प्रवक्ता और प्रतिनिधि के रूप में सेठ नेमीचंद के नाम क़ा “राईस-किंग” का तमगा मज़बूत होता चला गया।
2 कलेक्टरों का अपहरण, रिहाई का संयोग ?
2006 बैच के 2आईएएस अफसर,उस समय छ्ग और ओड़िशा में 2 जिलों के कलेक्टर थे। दोनों का नक्सलियों ने अपहरण कर लिया था,बाद में दोनों की कुछ दिनों बाद सकुशल रिहाई भी हो गई। यह संयोग भी हो सकता है।छग के सुकमा जिले में कलेक्टर रहे एलेक्स पॉल मेनन के अपहरण मामले में हाल ही में दंतेवाड़ा एनआईए कोर्ट में बयान दर्ज किया गया। अपहरण के आरोप में जेल में सजा काट रहे कथित नक्सली आकाश उर्फ भीमा को कोर्ट में पेश किया गया। इस दौरान एलेक्स पॉल ने कथित नक्सली को पहचाने से मना कर दिया।उधर इन्हीं के बैच के ओड़िशा के मलकानगिरी में तब कलेक्टर पदस्थ आर. विनेलकृष्णा का भी चित्रकोंडा से नक्सलियों ने अपहरण किया था, उन्हें भी कुछ दिनों बाद रिहा कर दिया गया था।
जाँच के खिलाफ अनिल क़ो राहत,आईपीएस क़ो इंतजार ..
सर्वोच्च न्यायालय ने छ्ग के आईएएस अनिल टुटेजा और उनके बेटे यश क़ो बड़ी राहत देते हुए बलपूर्वक कार्यवाही पर रोक लगा दी है।जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अहसानुद्दीन अमन उल्लाह की बैंच ने (कोर्सिव एक्शन )पर रोक लगाई है।यहाँ यह बताना जरुरी है कि पिता पुत्र ईडी की जाँच से गुजर रहे हैं। अनिल क़ो अपनी गिरफ्तारी की आशंका थी। इधर एक आईपीएस भी राज्य सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की शरण में पहुंचे हैँ ।आय से अधिक सम्पत्ति और राजद्रोह के आरोपी निलंबित आईपीएस जी पी सिंह ने राज्य सरकार के खिलाफ बनाये गये मामले क़ो लेकर सुको में उनके मामले की जाँच सीबीआई से कराने की मांग की है।
और अब बस
0छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अब से अपने नाम के आगे डॉक्टर लगाएंगे। हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग में आयोजित दीक्षांत समारोह में उन्हें पीएचडी की मानद उपाधि दी गई है।
0 यूपी के माफिया अतीक की हत्या के बाद उसके खास गुड्डू खान की छ्ग में छिपे होने की चर्चा तेज है।
0कुछ जिलों के एसपी बदलने की चर्चा काफ़ी समय से है, पर सूची निकलने में देरी क्यों हो रही है?
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