टोक्यो। जापान को भी चांद पर रोवर उतारने में नाकामी हाथ लगी है। लैंडिंग के वक्त भारत के विक्रम रोवर जैसी स्थिति से जापान के लैंडर हाकुतो-आर का संपर्क टूट गया। इस लैंडर और रोवर को जापान की निजी कंपनी आईस्पेस इंक ने बनाया था। चांद पर रोवर उतारने के मामले में पहले भी कई देश नाकाम साबित हो चुके हैं।
जापान के लैंडर और रोवर को दिसंबर 2022 में अमेरिका के केप केनेवरल से स्पेस एक्स रॉकेट के जरिए अंतरिक्ष में भेजा गया था। जापान की ये चांद पर रोवर और लैंडर उतारने की पहली कोशिश की। आईस्पेस इंक के सीईओ ताकेशी हाकामादा ने लैंडर और रोवर से संपर्क टूटने की जानकारी मीडिया को दी।
हाकामादा ने कहा कि हमें उम्मीद थी कि लैंडर से संपर्क फिर जुड़ेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब साफ हो गया है कि चांद का हमारा मिशन नाकाम रहा है। चांद पर लैंडर उतारने में कई तरह की तकनीकी दिक्कतें आती हैं।
हाकामादा ने कहा कि शायद ऐसी ही तमाम दिक्कतें आई होंगी। हाकुतो-आर मिशन पहले चांद से 100 किलोमीटर ऊपर 6000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चक्कर लगा रहा था। फिर इसे उतारने के लिए गति को धीमा किया गया था। लैंडर और रोवर की लंबाई 7.55 फिट थी। इसे चांद के उत्तरी गोलार्ध में मारे फ्रिगोरिस इलाके में उतारना था।
अब तक चांद पर अमेरिका, भारत, सोवियत संघ (अब रूस), चीन और इजरायल ने ही लैंडर और रोवर भेजे थे। इनमें से भारत और इजरायल के मिशन विफल रहे थे। अब जापान का नाम भी विफल होने वाले देशों में जुड़ गया है।
जापान अब चांद के लिए दूसरा मिशन अगले साल भेजेगा। भारत का दूसरा लैंडर मिशन भी चांद के लिए तैयार किया जा रहा है। इस बार कई तरह के तकनीकी बदलाव भारत का इसरो कर रहा है। ताकि चांद पर लैंडर और रोवर को हर हाल में सुरक्षित उतारा जा सके।
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