कोरिया। कलेक्टर लंगेह ने आगामी 22 व 23 अप्रैल को अक्षय तृतीया पर्व पर बड़े पैमाने पर कतिपय क्षेत्रों में बाल विवाह की घटनाओं के रोकथाम के लिए समय रहते व्यापक रूप से कार्यवाही के लिए निर्देश जारी किया है।
निर्देश में बताया गया है कि प्रदेश में कुछ विशिष्ट जातियों में बाल विवाह के प्रकरण पूर्व वर्षो में देखे जाते रहे है। अत: सर्वप्रथम जिलों में क्षेत्रों/जातियों को चिन्हित कर लिया जाएं। चिन्हित करने के लिए पटवारी, कोटवार, शिक्षकों, ऑंगनवाडी कार्यकर्ताओं व ग्राम स्तरीय शासकीय अमले को दायित्व सौंपा जा सकते है। समस्त ग्राम व ग्राम पंचायत में बाल संरक्षण समिति का गठन किया जा चुका है, जिसके प्रथम बैठक प्रस्ताव में ग्राम पंचायत को बाल विवाह मुक्त ग्राम पंचायत बनाने का प्रस्ताव दिया गया है, साथ ही बाल विवाह मुक्त ग्राम पंचायत को प्रमाण पत्र प्रदान किया जावेगा। जिसके कार्यवाही के संबंध में विवाह पंजी संधारित की जाना चाहिए। इस पंजी के संधारण से ग्राम पंचायतों में होने वाले समस्त विवाहों का रिकार्ड रहेगा। जिससे बाल विवाह की जानकारी समय पूर्ण प्राप्त हो जाएगी। पंजी संधारण का दायित्व पंचायत सचिव और ऑंगनबाडी कार्यकर्ता को सौंपा जा सकते है। आशय यह है कि होने वाले प्रत्येक विवाह में वर व वधु की उम्र का सत्यापन किया जाना चाहिए। समस्त ग्राम पंचायत के ग्रामों के कोटवार द्वारा बाल विवाह नहीं करने, बाल विवाह के कानूनन अपराध होने के संबंध में मुनादी कराई जाएं, जिससे सभी ग्रामीणजनों को पता चले कि बाल विवाह करना अपराध है।
जिले में आयोजित होने वाली समस्त ग्राम सभाओं व स्वास्थ्य शिविर में बाल विवाह की रोकथाम के उपाय, बाल विवाह के कारण महिलाओं के स्वास्थ्य पर पडऩे वाले दुष्प्रभाव, शिशुओं में कुपोषण, मातृ-मृत्यु दर व शिशु-मृत्यु दर में वृद्धि के संबंध में स्वास्थ्य विभाग व महिला व बाल विकास विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की ओर से परिचर्चा करवाई जाएं व समस्त जानकारी ग्राम सभा में दी जाएं। समस्त ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत व जिला स्तर पर बाल विवाह रोकथाम समिति का गठन किया जाएं। इस समिति में पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधि, जन प्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता, शासकीय कार्यकर्ता, शासकीय अधिकारियों, कर्मचारियों व जाति विशेष के मुखियाओं (कुरहा) को समिति के सदस्य के रूप में रखा जाएं। इस समिति में संबंधित क्षेत्र के थाना प्रभारी व पटवारी को भी आवश्यक रूप से शामिल करते हुए बाल विवाह के प्रकरणों की समीक्षा के लिए समिति की बैठक प्रत्येक त्रैमास में नियमित रूप से की जाएं।
बाल विवाह की रोकथाम के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार यथा दीवारों पर नारा लेखन, पाम्पलेट्स का वितरण, शाला व आंगनबाडी केन्द्रों की ओर से बाल विवाह रोकथाम रैली, बाल विवाह की रोकथाम के उपाय, बाल विवाह का समाज पर प्रभाव, बाल विवाह व कुपोषण चक्र आदि विषयों पर शालाओं में वाद- विवाद व निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया जा सकता है। बाल विवाह रोकथाम के लिए सूचना तंत्र का प्रभावी होना अत्यंत आवश्यक है। जिले में कहीं पर भी बाल विवाह तय होने की सूचना मिलते ही प्रशासन को संबंधित परिवार को समझाईश देकर बाल विवाह रोकना है। बाल विवाह की सूचना ग्राम सरपंच, पंचायत सचिव, ग्राम के शिक्षक, कोटवार, ऑंगनबाडी कार्यकर्ता जो ग्राम स्तरीय बाल विवाह रोकथाम समिति के सदस्य भी है, के द्वारा तत्काल पहुचाई जा सकती है। इस प्रकार की व्यवस्था की जावे कि बाल विवाह की सूचना अविलंब पर्यवेक्षक, बाल विकास परियोजना अधिकारी, मुख्यकार्यपालन अधिकारी, खंड चिकित्सा अधिकारी, तहसीलदार, थाना प्रभारी, अनुविभागीय अधिकारी राजस्व या सीधे जिला कलेक्टर व जिला पुलिस अधीक्षक तक पंहुच जाएं।
छत्तीसगढ़ में मुख्यत: रामनवमी व अक्षय तृतीया पर बड़ी संख्या में विवाह होते है, इस अवसरों पर बाल विवाह भी हो सकते है, अत: पूर्ण से ही ग्राम पंचायतवार होने वाले विवाहों की समीक्षा ग्राम स्तरीय, खंडस्तरीय व जिला स्तरीय बाल विवाह रोकथाम समिति के माध्यम से की जावें व बाल विवाह होने के संबंध में जानकारी प्राप्त होने पर पहले विवाह रोकने के लिए समझाईश दी जावे व न मानने पर कानूनी कार्यवाही कड़ाई से की जावे। छत्तीसगढ़ शासन की ओर से बाल विवाह रोकथाम के लिए मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना, नोनी सुरक्षा योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इस योजना का ग्रामीणजनों तक लाभ पहुचाया जाएं, ताकि बाल विवाह की रोकथाम की जा सके। पुलिस अधीक्षक प्रारंभ से ही थाना प्रभारियों को निर्देशित करें, कि पुलिस दल ग्रामों के भ्रमण में ग्रामजनों को बाल विवाह न करने की समझाईश दें। साथ ही थाने में किसी भी माध्यम से बाल विवाह होने की मौखिक या लिखित सूचना प्राप्त होती है, तो रोकथाम के लिए तत्काल सक्रिय हो जाएं। बाल विवाह रोकथाम में किशोरी बालिकाएॅ व किशोरी बालिका समूहों की मुख्य भागीदारी हो सकती है। अत: इनका सहयोग बाल विवाह की रोकथाम के लिए लें।
जिले में महिला स्वयं सहायता समूह गठित है, इन समूहों को भी बाल विवाह की रोकथाम में महत्वपूर्ण दायित्व सौंपा जाएं। सभी अनुविभागीय अधिकारी(रा.) के माध्यम से प्रिटिंग प्रेस को विवाहित पत्रिका छापने से पूर्व वर-वधु के जन्म प्रमाण पत्र(अथवा) अंकसूची का परीक्षण करने के पश्चात विवाहित पत्रिका में जन्म तिथि अंकित कराये जाने का निर्देश दिया गया है। बाल विवाह होने की सम्भावना या तैयारी के बारे में तत्काल सूचना जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन को समय के पूर्व प्राप्त हो, इस हेतु समस्त विकासखंड के लिए या थानें के लिए एक दूरभाष नम्बर आशीष कुमार गुप्ता, जिला बाल संरक्षण अधिकारी का मो.नं.-9425256713, अली अहमद संरक्षण अधिकारी (गैर संस्थागत देखरेख) का मो नं.-9993625223 चिन्हांकित किया गया है, साथ ही राज्य बाल आयोग के मोबाईल एप्प मेरी आवाज टोल फ्री नम्बर 1800-233-0055, चाईल्ड हैल्प लाईन 1098, पुलिस हेल्प लाईन 100, 101 इत्यादि नम्बरों मे संबंधितों की ओर से सूचना दी जा सकती है।
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