नई दिल्ली । बिलकिस बानो मामले में सुप्रीम कोर्ट दोषियों की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर दो मई को अंतिम सुनवाई करेगा। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ”सेब की तुलना संतरे से नहीं की जा सकती, वैसे ही नरसंहार की तुलना एक हत्या से नहीं की जा सकती।”
कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से माफी की फाइलें नहीं दिखाने पर सवाल किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अपराध भयावह था। गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वे 27 मार्च के आदेश की समीक्षा दायर कर सकते हैं, जिसमें कोर्ट ने बिलकिस बानो मामले में 11 दोषियों को छूट पर मूल फाइलें मांगी थीं।
न्यायमूर्ति के एम जोसेफ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने 11 दोषियों को उनकी कैद की अवधि के दौरान दी गई पैरोल पर सवाल उठाया और कहा कि अपराध की गंभीरता पर राज्य द्वारा विचार किया जा सकता है।
मामले में कोर्ट की अहम टिप्पणी
पीठ ने कहा, “एक गर्भवती महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया और कई लोग मारे गए। आप पीड़ित के मामले की तुलना मानक धारा 302 (हत्या) के मामलों से नहीं कर सकते। जैसे आप सेब की तुलना संतरे से नहीं कर सकते, उसी तरह नरसंहार की तुलना एक हत्या से नहीं की जा सकती।”
पीठ ने कहा, “सवाल यह है कि क्या सरकार ने अपना दिमाग लगाया और छूट देने के अपने फैसले के आधार पर क्या योजना बनाई।” उन्हों ने कहा कि आज यह बिलकिस है, लेकिन कल यह कोई भी हो सकता है। यह आप या मैं हो सकते हैं। यदि आप छूट देने के अपने कारण नहीं बताते हैं, तो हम खुद निष्कर्ष निकालेंगे।”
पिछले साल को रिहा हुए थे बिलकिस बानो मामले के दोषी
मामले में कोर्ट ने, केंद्र और राज्य से समीक्षा याचिका दाखिल करने के बारे में अपना रुख स्पष्ट करने को कहा। बता दें कि सभी 11 दोषियों को गुजरात सरकार ने छूट दी थी और पिछले साल 15 अगस्त को रिहा कर दिया था।
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