सांस लेने में थी दिक्कत, कम हो रहा था ऑक्सीजन लेवल, ऐसे बची नवजात की जान…

कवर्धा । जिला मुख्यालय से लगभग 15-20 किलोमीटर दूर  बहरमुड़ा निवासी महेंद्र व दुवसिया निर्मलकर  के यंहा समय से पहले प्रथम बच्चे का जन्म 7 माह में ही हो गया। जन्म के समय बच्चे का वजन मात्र 800 ग्राम था जो नार्मल वजन से बेहद कम था। जिसे जिला हॉस्पिटल से गंभीर अवस्था मे जन्म के 3 दिन बाद रायपुर के लिए रेफर किये जाने पर परिजनों द्वारा मिनीमाता चौक स्थित बच्चों के हॉस्पिटल परिहार हॉस्पिटल लाया गया।

ऐसे बची जान…
उस वक्त बच्चे को सांस लेने में दिक्कत के साथ साथ ऑक्सीजन की मात्रा 50-60 प्रतिशत होने के कारण बच्चे की जान का खतरा बना हुआ था। बच्चे को गंभीर संक्रमण , निमोनिया , खून की कमी , सांस लेने में दिक्कत के चलते गम्भीर अवस्था को देखते ही परिहार हॉस्पिटल के संचालक डॉ शशि कपूर परिहार उनके सहयोगी डॉ सतीश देवांगन व उनकी एनआईसीयू की टीम के भागीरथी सहित अन्य सदस्यों ने तत्काल बच्चे को ऑक्सीजन लगा कर सिकुड़ चुके फेफड़े को फैलाने के लिए  सरफेक्टेन्ट (दवाई) वाले स्पोर्ट पर रख कर इलाज करना प्रारम्भ किया।

बच्चे की उम्मीद छोड़ चुके परिजनों की काउंसलिंग करने के बाद 50 दिन ऑक्सीजन ,7 दिन ऑक्सीजन की हाई फ्लो मशीन, 4 दिन वेंटिलेटर सपोर्ट में  रखकर गहन देख रेख करते हुए आर्थिक रूप से कमज़ोर होने के कारण उनकी कठनाइयों को समझते हुए  आयुष्मान भारत के तहत 70 दिन भर्ती रख कर निशुल्क इलाज किया गया। बच्चे के पूर्णतः स्वस्थ्य होने पर और माँ का दूध सामान्य ढंग से पीने और वजन 800 ग्राम से 2 किलो 100 ग्राम होने पर स्वस्थ्य शिशु माँ की गोद मे सौपा गया। बच्चे के  जीवन की आशा छोड़ चुके परिजनों ने स्वस्थ्य बच्चे को गोद मे पाकर खुशी का ठिकाना नही रहा।

निशुल्क इलाज को ले कर महेंद्र निर्मलकर ने  कहा कि सरकार की आयुष्मान योजना ने आज मुझ गरीब के बच्चे की जान बचाई है। अस्पताल की महंगी दवाओं और इलाज के लिए हमारे पास पैसे नही थे किन्तु सरकार की महत्वाकांक्षी योजना हमारे लिए सम्बल बन कर आई और बच्चे का निशुल्क इलाज हुआ।

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