CG NEWS : मानवता की मिसाल : विवाह में मिली राशि पिता ने वृद्धाआश्रम को की दान

रायगढ़, 4 अप्रैल। बेटे की शादी में मिली राशि को कलेक्टर के माध्यम से वृद्धाआश्रम में पिता ने दान किया है। उनके इस कार्य को लेकर वृद्धाश्रम में रहने वाले वृद्ध जहां खुश हुए। वहीं कलेक्टर ने भी इस पहल को लेकर प्रशंसा की। कलेक्टर का कहना था कि उनके द्वारा किया गया यह कार्य समाज के लिए अच्छी एवं प्रेरणादायक पहल है। शहर के कोतरा रोड मानिकपुरी गली में रहने वाले मोहन दास मानिकपुरी सोमवार को कलेक्टर के जनचौपाल पहुंचे। वहां पहुंचने के बाद अपने साथ लेकर एक थैला को कलेक्टर तारण प्रकाश सिन्हा के सामने रखा, उसमें रुपए थे।

मोहन दास मानिकपुरी ने बताया कि उन्होंने संकल्प लिया था कि बेटे के रिसेप्शन में आने वाली राशि को वे वृद्धाश्रम में दान करेंगे। शादी 30 मार्च को थी और रिसेप्शन 1 अप्रैल को था। रिसेप्शन के तीसरे रोज वे कलेक्टर के सामने पहुंचे और पूरी राशि कलेक्टर के सुपुर्द की। उनके संकल्प को सुन कर कलेक्टर के साथ वहां बैठे अन्य विभागीय अधिकारी मोहनदास की प्रशंसा करने लगे। कलेक्टर ने सम्मान राशि ग्रहण की और उनकी इच्छा अनुसार वहां मौजुद अधिकारियों को तत्काल वृद्धाश्रम में उक्त राशि को सुपुर्द कर मोहनदास को उसकी रसीद दिलाने का निर्देश दिया।

कलेक्टर के निर्देश के बाद समाज कल्याण के अधिकारी उन्हें वृद्धाश्रम लेकर गए। जहां उनके द्वारा दी गई राशि की पावती उन्हें दी गई। मोहनदास मानिकपुरी ने बताया कि उन्होंने बेटे के शादी का कार्ड छपवाया था, उसमें में इस बात का उल्लेख किया था कि शादी में मिलने वाली राशि को वृद्धाश्रम में दान किया जाएगा। इसके लिए उनके यहां आने वाले किसी प्रकार से गिफ्ट नहीं लाकर नगद राशि दें।



परिवार ने भी किया समर्थन


मोहन दास मानिकपुरी सामान्य परिवार से हैं। वे एक काफी कारखाना के कर्मचारी है। समाज के लिए कुछ करने की इच्छा से ही उन्होंने यह संकल्प लिया था। जिसे उन्होंने पूरा भी किया। उनके इस प्रेरणादायी निर्णय का स्वागत परिवार के लोगों ने भी किया। उनके इस कार्य को लेकर परिवार के सदस्य अपने आप को गौरवांवित महसूस कर रहे हैं।



अधिकारियों ने की प्रशंसा


जन चौपाल में मौजूद विभागीय अधिकारियों ने यहां तक कहा कि अमूमन जनचौपाल में शिकायत और मांगों को ही लेकर लोग पहुंचते हैं, लेकिन कोतरा रोड़ रायगढ़ निवासी मोहन दास मानिकपुरी जनचौपाल तो पहुंचे लेकिन कुछ मांग लेकर नहीं बल्कि कुछ देने पहुंचे थे। ऐसे विरले कम ही होते हैं।