जिला प्रशासन ने रोका बाल विवाह

कवर्धा । जिले की सहसपुर लोहारा विकासखंड अंतर्गत दूरस्थ वनांचल एक गांव में बाल विवाह होने की सूचना प्राप्त होने पर कलेक्टर जनमजेय महोबे के निर्देशानुसार जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग आनंद तिवारी एवं जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी सी एल भुआर्य के मार्गदर्शन में जिला बाल संरक्षण अधिकारी सत्यनारायण राठौर  के नेतृत्व में गठित जिला स्तरीय बाल विवाह रोकथाम टीम ने उक्त ग्राम जाकर विवाह आयोजन के संबंध में पतासाजी किया। जिसमें एक बालक की विवाह का आयोजन होना पाया।

जिला स्तरीय बाल विवाह रोकथाम टीम के सत्यनारायण राठौर, अविनाश ठाकुर, विनय जंघेल, श्रीमती श्याम धुर्वे, पुलिस टीम और पंचायत स्तरीय बाल संरक्षण समिति के सदस्यों ने विवाह स्थल में जाकर बालक के उम्र सत्यापन के लिए परिजनों से दस्तावेज मांगा। जिसमें बालक के परिजनों द्वारा बालक का आधार कार्ड प्रस्तुत किया आधार कार्ड अनुसार बालक का उम्र 21 वर्ष 4 माह था। जिस पर बाल विवाह रोकथाम टीम ने उम्र सत्यापन के लिए आधार कार्ड को मान्य नही करते हुए बालक के परिजनों से बालक के जन्म प्रमाण पत्र या शैक्षणिक प्रमाण पत्र की मांग की। काफी काफी देर पूछ-ताछ व जांच पड़-पड़ताल करने के बाद बालक के शैक्षणिक प्रमाण पत्र प्राप्त हुआ ।  शूक्ष्मता से शैक्षणिक प्रमाण पत्र का परीक्षण करने पर बालक के कक्षा पांचवी के अंकसूची में अंकित जन्म तिथि अनुसार बालक का उम्र 17 वर्ष 9 माह होना पाया गया। जो कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अनुसार विवाह योग्य नहीं है। जिससे बाल विवाह रोकथाम दल व पंचायत स्तरीय बाल संरक्षण समिति के सदस्यों ने बालक के माता-पिता व परिजनों को बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 की विस्तृत जानकारी देते हुए विवाह स्थगित करने के लिए काफी देर तक समझाइश दी।

बाल विवाह रोकथाम दल के जिला बाल संरक्षण अधिकारी सत्यनारायण राठौर ने उपस्थित परिजनों को बाल विवाह से होने वाले हानियों तथा कानूनी कार्यवाही की जानकारी देते हुए बताया कि बाल विवाह एक सामाजिक अभिशाप है जिसे रोकने के लिए बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 कानून बनाया गया है। इस कानून के तहत 21 वर्ष से कम आयु के लड़के और 18 वर्ष से कम आयु की लड़की के विवाह प्रतिबंधित है। कोई व्यक्ति जो बाल विवाह करवाता है या करता है अथवा उसमें सहायता करता है उसे 2 वर्ष तक कठोर कारावास अथवा जुर्माना जो कि 1 लाख तक हो सकता है अथवा दोनों से दंडित किये जाने का प्रावधान है। बाल विवाह बच्चों के अधिकारों का निर्मम उल्लंघन है। सभी बच्चों को देखभाल व सुरक्षा का अधिकार होता है। भले ही वे किसी भी समाजिक एवं आर्थिक पृष्ठभूमि से क्यों ना हो। प्रत्येक बच्चे को एक पूर्ण और परिपक्व व्यक्ति के रुप में विकसित होने का अधिकार होता है जो बाल विवाह की वजह से क्षत-विक्षत हो जाता है। बाल विवाह से अच्छा स्वास्थ पोषण व शिक्षा पाने और हिंसा उत्पीड़न व शोषण से बचाव के मूलभूत अधिकारों का हनन होता है। बाल विवाह से कुपोषण शिशु व प्रसूता मृत्यु दर में  इजाफा होता है। इससे यौन तथा विभिन्न संक्रामक बीमारियों का भी खतरा होता है। कानून की नजर में नाबालिगों के साथ यौन संबंध को उनके यौन उत्पीड़न और बलात्कार की श्रेणी में रखा गया है। बाल विवाह से बच्चों को मानसिक नकारात्मक प्रभाव के साथ-साथ सामाजिक अलगाव का भी सामना करना पड़ता है।

बाल विवाह रोकने के लिए समझाइस देने के बाद बालक के माता पिता स्वयं बालक एवं उनके परिजनो ने घोषणा पत्र भरकर सहमति दी और विवाह स्थगित की। साथ ही बालक के माता-पिता व बालक स्वयं ने विवाह योग्य उम्र 21 वर्ष होने के बाद ही शादी करने के लिए बाल विवाह रोकथाम टीम व पंचायत स्तरीय बाल संरक्षण समिति को आश्वसान दिया। बाल विवाह रोकथाम दल ने मौके स्थल पर पंचनामा तैयार कर बाल विवाह पर रोक लगाया।

उल्लेखनीय है कि कबीरधाम जिले में बाल संरक्षण तंत्र को मजबूत बनाने कलेक्टर जनमेजय महोबे ने जिला बाल संरक्षण इकाई महिला बाल विकास विभाग के नेतृत्व में सभी ग्राम पंचायतों में बाल संरक्षण समितियों का गठन किया हैं। जिन्हें बाल अधिकार संरक्षण विषय पर प्रशिक्षित किया गया है। ग्राम पंचायत सरपंच की अध्यक्षता में गठित पंचायत स्तरीय बाल संरक्षण समिति में पंचायत सचिव सचिव तथा शिक्षक कोटवार आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मितानिन स्व सहायता समूह की महिलाएं गांव के एक बालक व एक बालिका और नागरिक समिति के सदस्य हैं। जो ग्राम पंचायतों में बाल अधिकार संरक्षण के मुद्दों पर सक्रियता के साथ निगरानी बनाये हुए है। पंचायत स्तरीय बाल संरक्षण समिति की सक्रियता से जिले में यह दूसरी बाल विवाह रुकवाया गया। रामनवमी अक्षय तृतीया एवं शुभ मुहूर्त में अत्यधिक विवाह का आयोजन होने की संभावना को देखते हुए कलेक्टर ने जिला विकास खण्ड व पंचायत स्तरीय बाल विवाह रोकथाम दल को सघन भ्रमण कर सक्रियता से सभी विवाह आयोजनों में निगरानी बनाये रखने तथा बाल विवाह की जानकारी होने पर कड़ी कानूनी कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं।

बाल विवाह रोकथाम के लिए जिला कार्यक्रम अधिकारी आनंद तिवारी, जिला महिला एवं बाल विकास अधिकरी सीएल भुआर्य,  जिला बाल संरक्षण अधिकारी सत्यनारायण राठौर, बाल विवाह परिषेध अधिकारी सह परियोजना अधिकारी श्रद्धा यादव, परामर्शदाता अविनाश ठाकुर, आउटरीच वर्कर विनय जंघेल आउटरीच वर्कर जिला बाल संरक्षण इकाई महिला एवं बाल विकास विभाग श्रीमती श्यामा धुर्वे, सहायक उप निरीक्षक जनकराम सोनकर, प्रधान आरक्षक नबोर एक्का एवं आरक्षक पुलिस थाना सिंघनपुर जंगल संदीप शुक्ला, ग्राम पंचायत स्तरीय बाल संरक्षण समिति के सरपंच प्रतिनिधि शिव महिलांगे, पंच रूपेंद्र धुर्वे, मोहन धुर्वे, कोटवार अटल दास मानिकपुरी एवं गांव के नागरिको का विशेष सहयोग रहा।