CG में राजस्थान के “Right to Health Bill” का विरोध, छत्तीसगढ़ कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ ने जताई आपत्ति

रायपुर, 29 मार्च। राजस्थान और छत्तीसगढ़ दो ऐसे राज्य हैं, जहां कांग्रेस की सरकारें हैं। राजस्थान सरकार ने हाल ही में राइट टू हेल्थ बिल पारित किया है। इस बिल का छत्तीसगढ़ के कांग्रेसी विरोध कर रहे हैं। मामला निजी अस्पतालों में मरीजों के उपचार से संबंधित है। यहां कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ इसलिए विरोध कर रहा है कि कहीं राजस्थान की तर्ज पर यहां भी ऐसा कानून न आ जाए।

दरअसल, राजस्थान के कानून में प्राइवेट अस्पतालों के लिए इमरजेंसी सेवाएं अनिवार्य की गई हैं। 25 लाख रुपये तक का निश्शुल्क उपचार है, जिसका निर्धारित मूल्य सरकार चुकाएगी। विरोध करने वालों का कहना है कि यह बिल मरीज और डाक्टर के आपसी विश्वास को कमजोर करेगा। इस बिल की कोई आवश्यकता नहीं है। इनका कहना है कि 85 प्रतिशत गंभीर बीमारियों का उपचार निजी अस्पतालों में ही किया जाता है। छत्तीसगढ़ सरकार ने भी इसी तरह के यूनिवर्सल हेल्थ स्कीम का वादा किया था, हालांकि यह वादा पूरा नहीं हो पाया है।

उन्‍होंने कहा कि इस बिल में सभी मरीजों के लिए प्राइवेट अस्पताल में आपातकालीन सेवाएं सुनिश्चित करने का निश्चय व्यक्त किया गया है। लेकिन बिल में आपातकालीन स्थिति को चिकित्सकीय दृष्टि से परिभाषित नहीं किया गया है। इस बिल को सरकारी अस्पतालों और संस्थानों के लिए प्रारंभिक तौर पर लागू किया जाए। वहां सफल होने के बाद प्राइवेट अस्पताल मेें लागू किया जाए। गौरतलब है कि बिल के विरोध में राजस्‍थान में भी अस्पताल प्रबंधन और डाक्टर प्रदर्शन कर रहे हैं।

यह समस्या आएगी

बिल का विरोध कर रहे डाक्टरोें ने बताया कि 70 प्रतिशत से अधिक अस्पताल कुछ चुनिंदा सेवाएं ही देते हैं। मल्टीस्पेशलिटी की सुविधाएं केवल कार्पोरेट अस्पतालों और टियर-1 श्रेणी के शहरों में होती हैं। चिकित्सकीय आपातकाल में मरीजों को मल्टीस्पेशलिटी सुविधाओं की जरूरत होती है। यदि कोई गर्भवती महिला गंभीर स्थिति में हृदय रोग के अस्पताल में पहुंच जाए या कोई सड़क दुर्घटना का मरीज प्रसूति अस्पताल में पहुंच जाए तो क्या उन्हें आपातकालीन चिकित्सा सुविधा मिलेगी।

यह है आपत्त्ति

-राजस्‍थान में चिरंजीवी योजना के होते हुए इस बिल का कोई औचित्य नहीं

– निजी अस्पतालों से बिना सामंजस्य बनाये पारित किया गया बिल

– 85 प्रतिशत से अधिक गंभीर मरीजों का निजी क्षेत्र केअस्पताल मेें होता है इलाज

– मरीज और डाक्टर के आपसी विश्वास को कमजोर करेगा राइट टू हेल्थ बिल

– निजी अस्पतालों का संचालन अव्यवहारिक बनाएगा यह बिल