Chaitra Navratri 2023: आज नवरात्रि के सातवें दिन होगी मां कालरात्रि की पूजा, जानें विधि एवं शुभ मुहूर्त

Chaitra Navratri चैत्र मास की नवरात्रि के सातवें दिन देवी कालरात्रि की पूजा का विधान है. मां कालरात्रि की पूजा की विधि और इसका धार्मिक महत्व जानने के लिए जरूर जानने जरूर पढ़ें ये लेख.चैत्र मास में पड़ने वाली नवरात्रि के सातवें दिन देवी दुर्गा के सातवें स्वरूप यानि मां कालरात्रि की पूजा का विधान है. हिंदू मान्यता के अनुसार नवरात्रि की 09 दिनी साधना में मां कालरात्रि की पूजा शक्ति के साधक से जुड़े हुए सभी प्रकार के भय को दूर करती है. मां कालरात्रि जिनका रूप बेहद डरावना है, उनके आशीर्वाद से भक्त हमेशा निडर जीवन जीता है. भगवती के इस भव्य स्वरूप के शुभ प्रभाव से साधक के पास भूल से भी नकारात्मक शक्तियां या बलाएं नहीं फटकती हैं. आइए देवी कालरात्रि की पूजा की विधि, शुभ मुहूर्त और जरूरी नियम आदि के बारे में विस्तार से जानते हैं.

मां कालरात्रि की पूजा का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्लपक्ष की षष्ठी तिथि 27 मार्च 2023, सोमवार को सायंकाल 05:28 बजे से प्रारंभ होकर 28 मार्च 2023, मंगलवार को सायंंकाल 07:02 बजे तक रहेगी. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार नवरात्रि की सप्तमी का व्रत और मां कालरात्रि की पूजा 27 मार्च 2023 को की जाएगी.

मां कालरात्रि की पूजा विधि
नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की साधना भोर के समय अत्यंत ही शुभ और फलदायी मानी गई है. ऐसे में देवी दुर्गा के इस दिव्य स्वरूप का आशीर्वाद पाने के लिए सप्तमी तिथि दिन वाले सुबह सूर्योदय से पहले उठें और स्नान ध्यान करने के बाद मां कालरात्रि की पूजा एवं व्रत को विधि-विधान से करने का संकल्प लें. इसके बाद मां कालरात्रि फोटो या प्रतिमा पर गंगाजल अर्पित करें और फिर उसके बाद देवी का आह्वान करें. इसके बाद मां कालरात्रि की रोली, अक्षत, फल, फूल, मिष्ठान, वस्त्र, सिंदूर, धूप, दीप, आदि को अर्पित करके उनकी पूजा करें.

देवी को लगाएं गुड़ का भोग
हिंदू मान्यता के अनुसार आज देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए साधक को उनकी पूजा में गुड़ और हलवे का भोग जरूर लगाना चाहिए. देवी को भोग लगाने के बाद माता को विशेष रूप से पान और सुपाड़ी भी चढ़ाएं. इसके बाद मां कालरात्रि से मनचाहा वरदान पाने के लिए उनकी कथा, चालीसा का पाठ या फिर उनके मंत्रों का जाप पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ करें. पूजा के अंत में मां कालरात्रि की आरती करें और उसमें हुई भूल के लिए क्षमा प्रार्थना करें.