नई दिल्ली । सोमवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि किसी खाते को ‘धोखाधड़ी’ के रूप में वर्गीकृत किए जाने से पहले कर्ज लेने वाले की सुनवाई की जानी चाहिए और अगर इस तरह की कार्रवाई की जाती है तो एक तर्कपूर्ण आदेश का पालन किया जाना चाहिए।
तेलंगाना हाईकोर्ट का फैसला बरकरार
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ (Chief Justice D Y Chandrachud) की अध्यक्षता वाली पीठ ने तेलंगाना हाईकोर्ट (Telangana High Court) के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि धोखाधड़ी के रूप में खातों का वर्गीकरण उधारकर्ताओं के लिए नागरिक परिणामों में होता है और इसलिए ऐसे व्यक्तियों को सुनवाई का अवसर जरूर देना चाहिए।
पीठ ने कहा, “बैंकों को धोखाधड़ी पर मास्टर निर्देशों के तहत धोखाधड़ी के रूप में अपने खातों को वर्गीकृत करने से पहले उधार लेने वाले को सुनवाई का अवसर देना चाहिए।”
SBI की याचिका पर आया फैसला
पीठ ने कहा कि कर्ज लेने वाले के खाते को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत करने के फैसले का तार्किक तरीके से पालन किया जाना चाहिए। यह फैसला स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की याचिका पर आया है।
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