चुनावी आहट के साथ निखरने लगे ओपी चौधरी के तेवर

खरसिया विधानसभा सीट पर बढ़ी सक्रियता

रायगढ़ । विधानसभा चुनाव की आहट के साथ ही ओपी चौधरी पूरी तरह से रंगत में आ गए हैं। सियासी पंडितों के मुताबिक ओपी चौधरी की क्रियाशीलता में कई गुना इजाफा हो गया है और इन तमाम गतिविधियों के गहरे राजनैतिक अर्थ हैं। खासकर खरसिया विधानसभा सीट पर ओपी की अचानक सक्रियता बढ़ गई है। ओपी के शुभचिंतक इस क्रियाशीलता के मायने ढूंढ रहे हैं लेकिन वे किसी निष्कर्ष तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। कारण स्पष्ट है कि ओपी खरसिया सीट से चुनाव लड़ने के बिल्कुल भी इच्छुक नहीं है। जबकि तटस्थ लोगों का मानना है कि ओपी की गतिविधियों का सूक्ष्म अध्ययन किया जाए तो ऐसा प्रतीत होता है कि चौधरी यह संदेश अवश्य देना चाहते हैं कि उन्होंने अभी खरसिया का मैदान पूरी तरह से छोड़ा नहीं है ताकि ओपी समर्थक नेताओं को उत्साह का टॉनिक लगातार मिलता रहे। छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान व अस्मिता के संवाहक बन चुके भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली सूबे की कांग्रेस सरकार की जमकर मुखालफत करने वाले चुनिंदा भाजपा नेताओं में शुमार ओपी चौधरी एक्टिव मोड में हैं।



ओपी चौधरी विधानसभा चुनाव लड़ेंगे या नहीं, लड़ेंगे तो उनकी प्राथमिकता क्या होगी, ओपी चौधरी क्या अपने लिये किसी महफूज सीट की तलाश में हैं, ऐसे अनेक सवालात हैं, जिनका जवाब या तो प्रदेश नेतृत्व के पास है या फिर इसका उत्तर ओपी चौधरी के पास ही है। हाल ही के एक महीने के दौरान चौधरी कांग्रेस सरकार के खिलाफ और अधिक हमलावर हुए हैं। सोशल साईट्स पर भूपेश बघेल सरकार की तगड़ी घेराबंदी करने में काफी हद तक कामयाब हो चुके ओपी चौधरी ने अपने तेवर और आक्रामक कर लिए हैं। मायने साफ हैं और इशारे भी कि ओपी भाजपा की पहली पंक्ति के नेताओं में शामिल हो गए हैं। वह पंक्ति जिसका प्रतिनिधित्व अरूण साव, नारायण चंदेल, बृजमोहन अग्रवाल, धरमलाल कौशिक व अजय चंद्राकर सरीखे धाकड़ नेता करते हैं, विपक्ष में रहते हुए ओपी ने न केवल खुद के व्यक्तित्व को निखारा है, बल्कि उन विरोधी नेताओं की भी बोलती बंद कर दी है जो ओपी की संघर्ष क्षमता को शंका की नजर से देखते थे।

ओपी वाकपटुता में माहिर हैं, उनकी कार्यशैली नियोजित रहती है। तथ्यों के अन्वेषण के बिना वह अपनी बात नहीं रखते हैं, वहीं चौधरी की संगठनात्मक दक्षता का अब प्रदेश नेतृत्व भी कायल बन चुका है। वे कांग्रेस सरकार के खिलाफ किसी भी मुद्दे की लपकने में देरी नहीं करते। मामला चाहे विधानसभा घेराव का हो या सदन में उठे बेरोजगारों के आंकड़ों का। कल लंबे अरसे बाद बेरोजगारों के आंकड़ों को लेकर पहली बार ओपी चौधरी ने उच्च शिक्षा मंत्री उमेश नंदकुमार पटेल पर सीधे हमला बोला है। कहने का लब्बोलुआब यह है कि ओपी चौधरी अब सियासत की पिच पर परिपक्व हो गए हैं, जो उनकी नेतृत्व क्षमता का परिचायक भी है।