एम्स में किडनी ट्रांसप्लांट से युवक को मिली नई जिंदगी

नेफ्रोलॉजी और यूरोलॉजी विभाग के संयुक्त प्रयासों के बाद तीसरा निःशुल्क किडनी ट्रांसप्लांट

रायपुर । अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में एक बार पुनः तीसरी बार किडनी ट्रांसप्लांट कर 19 वर्षीय युवक को नई जिंदगी प्रदान की गई। यह युवक किडनी की गंभीर बीमारी से पीड़ित था जिसे ब्रेन डेड नर्स की किडनी ट्रांसप्लांट कर 20 दिन तक चिकित्सकों की निगरानी में रखा गया। अब स्वस्थ होने के बाद युवक को डिस्चार्ज कर दिया गया है।

बलौदाबाजार निवासी श्रमिक वर्ग के परिवार का 19 वर्षीय युवक बी.एससी. प्रथम वर्ष का छात्र है। भूख न लगने और चेहरे पर सूजन रहने की वजह से चिकित्सकों ने जब चेकअप किया तो युवक गंभीर किडनी रोग से पीड़ित मिला। प्रारंभ में डायलिसिस की मदद से उपचार प्रदान किया गया। इसके बाद युवक की गंभीर स्थिति को देखते हुए किडनी ट्रांसप्लांट का निर्णय लिया गया। किडनी दान देने के लिए मां-बाप तैयार थे परंतु मां को टीबी होने और पिता की किडनी कमजोर होने के कारण इसे केडेवर किडनी ट्रांसप्लांट का निर्णय लिया गया।

एम्स की नर्सिंग ऑफिसर के ब्रेन डेड होने के बाद इसकी किडनी युवक के लिए उपयुक्त पाई गई और 26 फरवरी को किडनी ट्रांसप्लांट किया गया। यह एम्स में तीसरा किडनी ट्रांसप्लांट था जिसमें नेफ्रोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. विनय राठौर और यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. अमित आर. शर्मा के साथ एनेस्थिसियालॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. एन.के. अग्रवाल के निर्देशन में संयुक्त रूप से ऑपरेशन किया।

ऑपरेशन करने वाली टीम में डॉ. दीपक बिस्वाल, डॉ. रोहित बड़गे, डॉ. जीतेंद्र शामिल थे। नर्सिंग विभाग से विशोक एन और रविचंद्रन ने विशेष भूमिका निभाई। 20 दिन चिकित्सकों की सघन निगरानी में रखने के बाद युवक को गत दिवस डिस्चार्ज कर दिया गया। ऑपरेशन आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत पूर्णतः निशुल्क किया गया। निदेशक प्रो. (डॉ.) नितिन एम. नागरकर ने ऑपरेशन करने वाले चिकित्सकों की टीम को इसके लिए बधाई दी है।

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