Raigarh News : जिले के समस्त विकासखण्डों में मनाया जा रहा विश्व ग्लुकोमा सप्ताह

ग्लुकोमा से होने वाली समस्या एवं उससे बचाव के बारे में दी जा रही जानकारी
ग्लुकोमा की प्राथमिक जॉच एवं उपचार जिले के समस्त सामुदायिक स्वास्थ्य केंन्द, जिला चिकित्सालय एवं मेडिकल कॉलेज में किया जाता है नि:शुल्क इलाज


रायगढ़, 16 मार्च. राष्ट्रीय अंधत्व एवं अल्पदृष्टि नियंत्रण कार्यक्रम अन्तर्गत प्रति वर्ष 12 से 18 मार्च तक विश्व ग्लुकोमा दिवस मनाया जाता है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.मधुलिका सिंह ठाकुर के निर्देशानुसार एवं डॉ.मीना पटेल नोडल अधिकारी (अंधत्व) के दिशा-निर्देशन में रायगढ़ सहित जिले के समस्त विकासखण्डों में जन-जागरूकता लाने 12 मार्च से विश्व ग्लुकोमा सप्ताह मनाया जा रहा है। इसी कड़ी में विशेष रूप से बुनकर समूह सदस्यों के नेत्र का परीक्षण 14 मार्च को ग्राम-मुरा में किया गया।

जहां 70 सदस्यों का जॉच कर 40 प्रेषबायोपिक चश्मा वितरण किया गया। इसी प्रकार 15 एवं 16 मार्च को रायगढ़ में बुनकर समूह के 100 सदस्यों का नेत्र जॉच कर 70 सदस्यों को नि:शुल्क प्रेषबायोपिक चश्मा वितरण किया गया। उपस्थित सदस्यों को नेत्र में ग्लुकोमा से होने वाली समस्या एवं उससे बचाव के बारे में जानकारी दी गई।


यह बीमारी सामान्यत: 40 वर्ष के बाद शुरू होती है, आँख में एक तरल पदार्थ (एक्वस) भरा होता है यह तरल पदार्थ आँख के गोले को चिकना बनाए रखता है यदि इस तरल पदार्थ का रिसाव रूक जाये तो आंख के अंदर का दबाव बढ़ जाता है। जिससे प्रभावित आँखों में दाब सहने की क्षमता से अधिक हो जाता है फलस्वरूप नेत्र के पर्दे की तंतु को क्षति पहुंचाती है। जिससे दृष्टि चली जाती है। इस बीमारी से दृष्टि खराब होने के बाद उसका कहीं उपचार नहीं हो सकता है। इसे (काला मोतिया) भी कहा जाता है। ग्लुकोमा दो प्रकार के होते हैं एक प्रकार के ग्लुकोमा में आँख में तेज दर्द होता है, आँख लाल हो जाती हैं और दृष्टि कमजोर हो जाती है, जिसे एक्यूट कंजस्टिव ग्लॉकोमा कहा जाता है। इसका उपचार तुरंत कराने से कुछ दृष्टि वापस आ सकती है। दूसरे प्रकार के ग्लुकोमा में रोगी की आँख में दर्द नहीं होता और न आँख लाल होती है केवल दृष्टि धीरे-धीरे कम होने लगती है। नजदीक के चश्मे का नम्बर जल्दी-जल्दी बढ़ता है या कम उम्र में ही पढऩे में कठिनाई होने लगती है। दृष्टि के चारों तरफ  का दायरा भी कम होता जाता है। डार्क एडाप्टेशन टाईम (उजाले से अंधेरे में जाने पर आँखों को अंधेरे का अभ्यस्त होने में लगने वाला समय) बढऩे लगता है। व्यस्कों में परिधीय दृष्टि की हानि होती है। दूर के प्रकाशीय आब्जेक्ट को देखने पर आब्जेक्ट के चारों ओर सतरंगी इंद्रधनुष दिखाई देता है।

इसका निदान यह है कि 40 वर्ष उम्र के सभी व्यक्तियों को कम से कम साल में एक बार अपनी आंख की जांच नेत्र विशेषज्ञ से अवश्य कराना चाहिए। यदि ग्लुकोमा बीमारी की जानकारी हो जाती है तो दवाओं या ऑपरेशन से इसे नियंत्रण में रखा जा सकता है जो कि सामान्यत: दवाईयों से ही यह नियंत्रित हो जाता है। ऑपरेशन तभी करते हैं जब यह दवा से नियंत्रण में नहीं रहता या रोगी दवा नहीं डाल सकता या दवा नहीं खरीद सकता।


कार्यक्रम में अर्जुन बेहरा, राजेश अचार्य, रामजी लाल पटेल, चंद्रशेखर साहू, अनुप पटेल एवं श्रीमती आशा लकड़ा नेत्र सहायक अधिकारियों द्वारा नेत्र परीक्षण कर ग्लुकोमा संबंधी जानकारी दिया गया। ग्लुकोमा की प्राथमिक जॉच एवं उपचार जिले के समस्त सामुदायिक स्वास्थ्य केंन्द जिला चिकित्सालय एवं मेडिकल कॉलेज में नि:शुल्क किया जाता है।