डॉ. संगीता रेड्डी और सुश्री अन्ना रॉय
रायपुर । भारत की सर्वाधिक महत्वपूर्ण विकास और समानता प्राथमिकताओं में से एक है- महिला उद्यमिता को बढ़ावा देना। यह एक शक्तिशाली माध्यम है, जो भारत की 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की यात्रा को गति दे सकता है। इसके अलावा, यह उन सबसे महत्वपूर्ण घटकों में से एक है, जो घरेलू आय बढ़ाने, गरीबी को कम करने और 2030 संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी), विशेष रूप से लैंगिक समानता से सम्बन्धित एसडीजी-5 को हासिल करने में सहायता कर सकते हैं।
भारत में नारी शक्ति को प्रोत्साहन देने की बात, विभिन्न सरकारी पहलों में परिलक्षित होती है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ग्रामीण महिलाओं की उद्यमशीलता को सहायता प्रदान करता है, जिसके तहत 7.5 मिलियन स्वयं-सहायता समूहों से 80 मिलियन से अधिक महिलाएं जुड़ी हुई हैं। मुद्रा योजना, वित्त तक पहुंच को सक्षम बनाती है और जेम (जीईएम) पोर्टल सभी सरकारी खरीद का 3 प्रतिशत महिला उद्यमियों के लिए आरक्षित करता है।
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