देवरानी-जेठानी की लड़ाई में आयोग ने दी समझाइश
रायपुर । राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक, सदस्य श्रीमती अर्चना उपाध्याय एवं डॉ. अनिता रावटे ने बुधवार को राज्य महिला आयोग कार्यालय में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रस्तुत प्रकरणों पर जनसुनवाई की। छत्तीसगढ़ महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक की अध्यक्षता में आज 164 वीं जन सुनवाई हुई। रायपुर की आज की जनसुनवाई में कुल 26 प्रकरण सुनवाई हेतु रखे गये थे।
जेठानी ने अपने देवरानी के खिलाफ आयोग में अपना प्रकरण दर्ज किया था, जिसमें आयोग ने सुनवाई करते हुए कहा कि… दोनों देवरानी -जेठानी एक मकान में अलग-अलग रहते हैं। मकान दो मंजिला है और दोनों ऊपर नीचे रहने के बावजूद तालमेल नहीं है। उनके ससुर को जो कि मकान का मालिक है उनका अपमान करते हैं। उन्हें समझाइश दी गई कि दोनों बेटों और बहुओं को घर से निकाल दें। उभय पक्ष यदि शांतिपूर्वक रहना चाहते तो लिखित शपथ पत्र बनवा लें और उसका पालन करें तभी उन्हें अपने घर में बतौर किराएदार की तरह रहने दें। शपथ पत्र की प्रतिलिपि आयोग में जमा करावें।इस निर्देश के साथ प्रकरण आयोग से नस्तीबद्ध किया जाता है।
अन्य प्रकरण में आवेदिका ने अपनी शिकायत में जिन बिंदुओं का उल्लेख किया है उसमें मानसिक प्रताड़ना और लैंगिक उत्पीड़न का कोई तथ्य नहीं है लेकिन मौखिक रूप से वह इस संबंध में शिकायत कर रही है जो आवेदन से मेल नहीं खा रहे हैं। वह अपने आवेदन में संशोधन करना चाहते हैं। इस पूरे प्रकरण में यह समझ आ रहा है कि आवेदिका और उसके पति जो बेरला शासकीय कर्मचारी हैं उनका आवेदन अधूरा है। आवेदिका को एक सप्ताह के अंदर कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न का आवेदन प्रस्तुत करने का आदेश दिया।
अन्य प्रकरण में आवेदिका उपस्थित, तीनों अनावेदक को पहचानने से इनकार करती है तथा अवेदिका का कहना है कि उसके चाचा ने इन तीनों का नाम बताए थे। ऐसी दशा में इस प्रकरण को आयोग में चलने का कोई औचित्य नहीं है इस वजह से इस प्रकरण को नस्तीबद्ध किया जाता है।
14 मार्च को एक प्रकरण में सुनवाई के दौरान आयोग ने पति को पत्नी के भरण-पोषण के लिए ₹25000 और रहने की व्यवस्था बिलासपुर में करने की बात कही थी। पति ने आज आयोग के सामने ₹25000 पत्नी को दिए और रहने की व्यवस्था करने के लिए 1 माह का समय मांगा है। इस प्रकरण की निगरानी 1 वर्षों तक की जाएगी।
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