भारत सरकार ने 12 मजदूरों को लीबिया से छुड़वाया

नई दिल्ली ,07 मार्च । दुबई में नौकरी का सपना दिखाकर लीबिया में मजदूरी के लिए भेजे गए 12 भारतीयों को सरकार ने छुड़वा लिया है। सभी को सुरक्षित भारत लाया गया है। उन्हें छुड़ाने का काम नेशनल माइनॉरिटी कमिशन ने किया। वतन लौट कर इन लोगों ने अपनी आपबीती सुनाई है। लीबिया से लौटे लोगों में ज्यादातर सिख धर्म के लोग हैं। जो पंजाब से है, इन्होंने बताया कि उनसे लीबिया में बिना सैलरी के काम करवाया जाता था। भूखा रख कर मारपीट भी की जाती थी। कोरोना के दौरान लगे लॉकडाउन में इनकी नौकरी चली गई थी। एजेंट्स ने इन 12 लोगों से दुबई में अच्छी नौकरी दिलाने का वादा किया था। हालांकि जब ये लोग दुबई पहुंचे तो इन्हें कहा गया कि वहां इनके लिए कोई जगह नहीं है।

जमालदिन नाम के एक व्यक्ति ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया- हमने दुबई जाने के लिए 50 से 70 हजार रुपए का लोन लिया था। जब दुबई में नौकरी नहीं मिली तो हमें लीबिया का ऑप्शन दिया गया। जिसे हमने मान लिया क्योंकि हमें काम की जरूरत थी। जमालदिन ने बताया कि लीबिया ले जाकर उन्हें एक कंस्ट्रक्शन साइट पर मजदूरी का काम करने के लिए लगा दिया। वहां हमें न तो ठीक से खाने को दिया जाता था और न ही काम के बदले सैलरी दी जाती थी। लीबिया से बचाए गए 12 लोगों में पंजाब के अलावा एक व्यक्ति बिहार और एक हिमाचल प्रदेश का रहने वाला भी है।

नौकरी के झूठे वादों से लोगों को सतर्क करने के लिए नेशनल माइनॉरिटी कमिशन देशभर के लिए एक एडवाइजरी जारी करेगा। कमिशन के चेयरमैन इकबाल सिंह लालपुरा ने एक प्रेस कांफ्रेंस में पंजाब सरकार से भी युवाओं को नौकरी दिलाने के झूठे वादे करने वाले एजेंट्स से बचाने के लिए उचित कदम उठाने को कहा है। उन्होंने बताया कि इन 12 लोगों को छुड़ाने के लिए अफ्रीकी देश ट्युनिशिया से भी संपर्क किया गया था। इन्हें फरवरी और मार्च के बीच दो बैच में वापस भारत लाया गया।