लू से प्रभावित होने पर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में करे संपर्क

जांजगीर चांपा, 03 मार्च । 6 अप्रैल हिट वेव जिसे सामान्य भाषा में लू चलना कहा जाता है, जब वातावरण का तापमान 40°c या 104°F से ज्यादा हो तो हीट वेव (लू) की स्थिति उत्पन्न होती है, इसका असर बच्चों, बुजुर्गों एवं कोमार्बिड लोगों में सर्वाधिक होता है। हमारे शरीर के टेम्परेचर रेग्यूलेशन (तापमान नियंत्रण) मस्तिष्क के हाइपोथैलेमस भाग से होता है। जब वातावरण का तापमान 40°c या 104 °F से अधिक हो जाता है तब टेम्परेचर रेग्यूलेशन तंत्र प्रभावित होता है, परिणाम स्वरूप तब हीट स्ट्रोक की स्थिति उत्पन्न होती है। इसमें तेज बुखार आना, बहुत तेज सर दर्द, मांसपेशियों में कमजोरी और ऐंठन, गरम लाल और सूखी त्वचा, जी मचलाना और उल्टी होना, घबराहट होना, एवं बुखार की सामान्य दवाइयों से बुखार नहीं उतरता है। इससे कभी-कभी मृत्यु भी हो सकती है।

हीट स्ट्रोक से बचने के उपाय

घर से बाहर खाना खाने के बाद ही निकलना चाहिए। कोशिश करें कि सुबह 10 बजे से शाम 04 बजे तक सीधे सूर्य की रोशनी से बचे एवं बाहर जाने पर धूप से बचने के लिए सिर पर गमछा, हेट/ टोपी, धूप का चश्मा तथा सूती के ढीले कपड़े पहनें। प्यास न लगने पर भी पानी पीते रहें। मौसमी फल जैसे तरबूज, ककड़ी, छाछ, लस्सी समय-समय पर लेते रहें। अगर लू के चपेट में आ जाये तो नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र से संपर्क करें। समस्त स्वास्थ्य केन्द्रों में ओ.आर.एस., आईवी फ्ल्युइड एवं बुखार की दवाइयां पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।