कोरबा,25 फरवरी(वेदांत समाचार )।पश्चिम क्षेत्र के कोयलांचल में स्थित गेवरा रेलवे स्टेशन से छूटने वाली यात्री ट्रेनें करीब दो साल से बंद है। शुक्रवार दोपहर 3 बजे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने रेलवे स्टेशन के सामने प्रदर्शन किया। भाकपा नेताओं ने कहा कि यात्री ट्रेनों के फिर परिचालन की जनहित की उनकी मांग पूरी नहीं होने पर रेल मार्ग से किए जा रहे कोयले के परिवहन को रोकने बाध्य होंगे। रेलवे जोन बिलासपुर के कोरबा रेलखंड से कोयले की ढुलाई में रेलवे को सबसे अधिक राजस्व मिलता है। इसी रेलखंड में गेवरा रेलवे स्टेशन शामिल है, जो कोयलांचल क्षेत्र में है, लेकिन कोरोना काल से बंद यात्री ट्रेनों के फिर परिचालन को लेकर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। कोयला खदान में मैकेनाइज्ड पद्धति से कोयला लोडिंग के बाद मालगाड़ी के रैक की संख्या भी बढ़ी है।
इधर सुराकछार रेल साइडिंग में क्षेत्र के भूमिगत खदानों से भी पहुंचे कोयला को मालगाड़ी से संयंत्रों तक भेजने से यहां भी पहले की तुलना में रैक की संख्या बढ़ी है, जो गेवरा रेलवे स्टेशन से ही होकर गंतव्य स्थल तक पहुंंचती है। ऐसे में कोयला लदान पर ही फोकस होने से क्षेत्र के रेल यात्रियों में नाराजगी है। भाकपा के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने करीब 2 घंटे तक रेलवे स्टेशन गेवरा के सामने प्रदर्शन किया। इस दौरान रेलवे प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी भी की और यात्री ट्रेनों के परिचालन की मांग पर आवाज बुलंद की। धरना-प्रदर्शन में भाकपा नेता महेश बनाफर, अनूप सिंह, धमेन्द्र तिवारी, एसके सिंह, प्रमोद सिंह, सीके सिन्हा, एनके दास, केपी डडसेना समेत अन्य शामिल हुए।
आगे लड़ाई लड़ने तैयार रहें कार्यकर्ता, रोकेंगे मालगाड़ी क्योंकि रेलवे का फोकस सिर्फ राजस्व पर ही : भाकपा
एटक नेता दीपेश मिश्रा व भाकपा के जिला सचिव पवन कुमार वर्मा ने कहा कि औद्योगिक क्षेत्र होने से कोयलांचल में विभिन्न राज्यों के लोग निवास करते हैं जिन्हें आवाजाही में परेशानी हो रही है। रेलवे का फोकस अधिक से अधिक राजस्व हासिल करने में ही है। क्षेत्र के यात्री सुविधाओं को लेकर गंभीर नहीं है। अगर यही स्थिति रही तो आगे कोयला परिवहन में लगी मालगाड़ियों को रोकने मजबूर होंगे। आगे की लड़ाई के लिए संगठन के कार्यकर्ता तैयार रहें।
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