जिला अस्पताल व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में अब पोषण पुनर्वास केन्द्र, खुला , बिस्तरों का होगा उपयोग

धमतरी,23 फरवरी । अब बच्चों में कुपोषण मिटाने जिला अस्पताल व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में खाली बिस्तरों का भी उपयोग पोषण पुनर्वास केन्द्र के लिए किया जाएगा। कलेक्टर ऋतुराज रघुवंशी ने गुरुवार को जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक के दौरान बच्चों के सेहतमंदी को ध्यान में रख यह निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि हालांकि जिले में पोषण पुनर्वास केन्द्र 40 बिस्तरों का है। मगर अस्पतालों में अन्य खाली पड़े बिस्तरों का भी इस्तेमाल बच्चों को पोषणयुक्त करने किया जा सकता है। इसके लिए सभी खण्ड चिकित्सा अधिकारी सुनिश्चित करेंगे कि जब भी पोषण पुनर्वास केन्द्र के अलावा अन्य बिस्तर अस्पताल में खाली पड़े हों तो, व्यवस्था सुनिश्चित करें। साथ ही यह भी ध्यान रखना होगा कि पोषण पुनर्वास केन्द्र में बेड ऑक्यूपेंसी रहे। इसके लिए बिस्तर खाली होने के दो दिन पहले महिला एवं बाल विकास विभाग के पर्यवेक्षकों को सूचित कर दिया जाए। शुरूवाती तौर पर बच्चों के लिए 100 बिस्तर का लक्ष्य बैठक में तय किया गया है।

कलेक्टोरेट सभाकक्ष में सुबह 11 बजे से आहूत स्वास्थ्य समिति की बैठक में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.एस.के.मण्डल ने बताया कि लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय अनेक महत्वपूर्ण कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। इन योजनाओं की 48 सूचकांकों में 75 प्रतिशत सूचकांकों में धमतरी जिला पहले स्थान पर है। कलेक्टर रघुवंशी ने चालू वित्तीय वर्ष के बचे दो माह में शेष सूचकांकों में भी आगे रहने के लिए कार्ययोजना बनाकर काम करने स्वास्थ्य अमले को निर्देशित किया। गर्भवती महिलाओं का ए.एन.सी. जांच की समीक्षा करते हुए कलेक्टर रघुवंशी ने सुनिश्चित करने कहा कि पहले ट्राइमेस्टर का ए.एन.सी. पंजीयन हो। इस आधार पर बाकी तीन ए.एन.सी. चेकअप भी किया जाना चाहिए। फिलहाल जिले में पहले ट्राइमेस्टर में ए.एन.सी. पंजीयन 96 प्रतिशत है। कलेक्टर ने निजी अस्पतालों में भी ए.एन.सी. पंजीयन करने और समय पर इसकी जिला अस्पताल को जानकारी देने की व्यवस्था सुनिश्चित करने पर बल दिया है।इसके अलावा ऐसी सभी गर्भवती महिलाएं, जिनका ए.एन.सी. चेकअप के दौरान हीमोग्लोबिन 11 प्रतिशत से कम आ रहा है, उनका शत्-प्रतिशत संस्थागत प्रसव हो, यह स्पष्ट निर्देश कलेक्टर ने बैठक में दिए।

बताया गया कि अभी जिले में संस्थागत प्रसव 83 प्रतिशत है और ’सी’ सेक्शन प्रसव 30 प्रतिशत तथा नौ प्रकरणों में घरों में ही प्रसव हो गया है। घरां में हुए प्रसव की बैठक में बारिकी से समीक्षा करते हुए कलेक्टर ने संस्थागत प्रसव बढ़ाने कवायद करने कहा। विभिन्न सूचकांकों की समीक्षा के दौरान कलेक्टर ने राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत विभिन्न वर्गों में चिन्हांकित बच्चों का सही तरीके से फॉलोअप करते रहने के निर्देश दिए हैं। पहली श्रेणी में जो बच्चे चिन्हांकित किए गए हैं, उनका बेहतर तरीके से इलाज के अलावा पांचवीं श्रेणी में बालिकाओं के स्वास्थ्य संबंधी बिन्दुओं पर भी कलेक्टर ने गंभीरता से काम करने पर बल दिया, जिससे वे खून की कमी आदि से ना जूझें। वेक्टर जनित रोगों से बचाव के लिए की जा रही टेस्टिंग और उसकी रिपोर्ट पर चर्चा के दौरान कलेक्टर ने जिला अस्पताल सहित सभी स्वास्थ्य केन्द्रों के बिस्तरों में मच्छरदानी का उपयोग शत्-प्रतिशत करने पर जोर दिया। साथ ही नगरी क्षेत्र में ज्यादा ध्यान देने के कड़े निर्देश दिए, ताकि समय पर मलेरिया की पहचान कर सही तरीके से उपचार किया जा सके।

मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लीनिक शहरों से दूर के गांवों में लगाने कलेक्टर रघुवंशी ने बैठक में कहा है, जिससे कि दूर-दराज के हितग्राहियों को इसका पूरा-पूरा लाभ मिले। उन्होंने यह भी साफ तौर पर कहा है कि अब मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लीनिक में लगी टीम जियो टैग करेगी। हाट बाजार पहुंचते और निकलते समय फोटो लेकर ग्रुप में शेयर करेगी, ताकि उनकी समय पर और पूरे वक्त उपस्थिति सुनिश्चित की जा सके। सभी खण्ड चिकित्सा अधिकारियों को इसका खास ख्याल रखने कहा गया है। बताया गया है कि अब तक एक हजार 130 हाट बाजार क्लीनिक के जरिए 61 हजार 743 मरीजों की जांच की गई, इसमें मरीज प्रति हाट बाजार औसतन 55 मरीज हैं। इनमें से 61 हजार 537 मरीजों को दवा देकर लाभान्वित किया गया और 818 मरीजों को उच्च संस्था में रेफर किया गया।

कलेक्टर ने हाट बाजार क्लीनिक की पहुंच दूरस्थ क्षेत्रों तक किए जाने पर खास बल दिया है। इसी तरह आयुष्मान भारत के तहत आयुष्मान कार्ड पंजीयन की प्रगति और अब तक उससे हितग्राहियों को मिले लाभ की भी कलेक्टर ने समीक्षा की। बताया गया है कि अब तक आठ लाख 44 हजार 780 लक्षित परिवारों में से छः लाख 31 हजार 705 (74.94 प्रतिशत) पात्र हितग्राहियों का पंजीयन हुआ है। इसी तरह 30 पंजीकृत संस्थाओं में 34 हजार 931 आईपीडी प्रकरणों में 14 हजार 190 याने 41 प्रतिशत क्लेम मिला है। कलेक्टर ने इसे बढ़ाने के निर्देश बैठक में दिए, जिससे मरीजों को लाभ मिले। खासतौर पर जिला अस्पताल में 21 प्रतिशत क्लेम मिलने पर नाराजगी जताते हुए उसे शत्-प्रतिशत करने के निर्देश दिए हैं। बैठक में सिविल सर्जन डॉ.टोण्डर सहित चिकित्सा एवं समिति के अन्य सदस्य मौजूद रहे।

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