केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने नई शिक्षा नीति के तहत कक्षा एक में एडमिशन लेने के लिए सभी बच्चों की न्यूनतम उम्र 6 साल कर दी है.
इसको लेकर शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आदेश भी जारी कर दिए हैं. मंत्रालय की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि कक्षा एक में प्रवेश की उम्र 6 साल तय की जाए. बुधवार (22 फरवरी) को ये जानकारी अधिकारियों ने दी है.
शिक्षा मंत्रालय की तरफ से जो आदेश जारी हुआ है, उसमें कहा गया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत प्रथम चरण में बच्चों की शिक्षा को मजबूत करने के लिए उनकी आयु सीमा बढ़ानी जरूरी है. केंद्र ने राज्यों से पूर्व-स्कूली शिक्षा (DPSE) पाठ्यक्रम में दो साल का डिप्लोमा डिजाइन करने और चलाने की प्रक्रिया शुरू करने का भी अनुरोध किया है.
क्या कहती है राष्ट्रीय शिक्षा नीति?
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 देश के लिए राष्ट्रीय प्राथमिकता के रूप में बुनियादी स्तर पर बच्चों के सीखने की शक्ति और समझ विकसित करने की सिफारिश करती है. पहले यानि मूलभूत चरण में सभी बच्चों (3 से 8 वर्ष के बीच) के लिए पांच साल सीखने के अवसर होते हैं, जिसमें तीन साल की प्री-स्कूल शिक्षा और दो साल की प्रारंभिक प्राथमिक ग्रेड-I और ग्रेड- II शामिल हैं.
मंत्रालय का कहना है कि यह केवल आंगनवाड़ियों या सरकारी/सरकारी सहायता प्राप्त, निजी और गैर-सरकारी संगठन द्वारा संचालित स्कूल पूर्व (प्री-स्कूल) केंद्रों में पढ़ने वाले सभी बच्चों के लिए तीन साल की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच सुनिश्चित करके ही किया जा सकता है.
बता दें कि केंद्रीय स्कूलों के अलावा कई राज्यों में पहली कक्षा में दाखिले की न्यूनतम उम्र पहले से ही 6 साल रखी गई है. वहीं कई राज्यों में ये पांच या साढ़े पांच साल रखा गया है. अब इस नए बदलाव को राज्य स्तर पर सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में लागू किया जा रहा है.
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